हरियाणा में कोरोना से सुरक्षा का चक्र कमजोर, सिर्फ आठ फीसद ने लगवाई बूस्टर डोज

चीन में कोरोना के नए वैरिएंट से मचे कोहराम के बाद से भारत में सभी राज्य सतर्क हो गए हैं। हालांकि, हरियाणा में अभी हालात सामान्य हैं। गुरुवार को कोरोना के मात्र दो नए मरीज मिले हैं लेकिन कोरोना से सुरक्षा का चक्र कमजोर है। प्रदेश में सिर्फ आठ फीसद लोगों ने बूस्टर डोज लगवाई है और 12 प्रतिशत लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए जरूरी वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं ली है।

इस समय प्रदेश में केवल 21 मरीज सक्रिय हैं। इनमें से किसी भी मरीज की हालत गंभीर नहीं है। राहत की बात है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दर 0.05 प्रतिशत है और मरीजों के स्वस्थ होने की दर 98.98 फीसदी है। प्रदेश में कोरोना से अब तक 10714 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोरोना के मामलों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। कोरोना के मामलों की चेन को तोड़ने के लिए विभाग की ओर से रोजाना चार हजार से अधिक लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। 

प्रदेश में वैक्सीनेशन की स्थिति

  • डोज        लोग               प्रतिशत
  • पहली    2,36,71,671     100
  • दूसरी    1,98,26,325     88
  • बूस्टर   19,50,396         8

सोनीपत: वैक्सीन खत्म, आइसोलेशन वार्ड बनाया नहीं
नागरिक अस्पताल में कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर कोई तैयारी नहीं है। बच्चों को लगाई जाने वाली कोर्बावैक्स वैक्सीन एक माह पहले खत्म हो चुकी है। कोविशील्ड वैक्सीन 14 दिन से खत्म है। वहीं मुख्यालय ने कोवाक्सिन वापस मंगवा ली है। अस्पताल में उपलब्ध कोवाक्सिन की वैधता 31 दिसंबर तक है।

कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने के लिए अभी कोई वार्ड नहीं बनाया गया है। कोरोना की जांच के लिए रोजाना करीब 30 लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट चालू हैं, जिनमें से एक प्लांट को प्रयोग में लिया जा रहा है। इसी तरह मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां में भी दो ऑक्सीजन प्लांट लगे हैं। गोहाना के नागरिक अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट अभी चालू नहीं हुआ है।

नारनौल: आइसोलेशन वार्ड को अन्य मरीजों के लिए किया जा रहा उपयोग
कोरोना के दौरान नारनौल के नागरिक अस्पताल में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड को अब अन्य मरीजों के लिए उपयोग में किया जा रहा है। जिला मुख्यालय पर लगाए गए आक्सीजन प्लांट को समय-समय पर चलाया जा रहा है, ताकि यह सही प्रकार से कार्य करता रहे। नागरिक अस्पताल की पुरानी इमारत में कुछ स्थानों पर खिड़कियां आदि टूटी हुई हैं, मगर उपचाराधीन मरीजों के कमरों में खिड़की आदि का दुरुस्त करवाया गया है। अधिकतर मरीजों को नागरिक अस्पताल की नई बिल्डिंग में ही भर्ती किया जाता है।

जींद: जरनल वार्ड में शिफ्ट हुआ आइसोलेशन वार्ड 
जिले में अभी तक कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं आया है। कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। आइसोलेशन वार्ड को भी बदलकर जरनल वार्ड में शिफ्ट किया गया है। स्वास्थ्य विभाग डेढ़ साल बाद भी आईसीयू शुरू नहीं करवा पाया है।

रोहतक: मरीज न आने से आइसोलेशन वार्ड बने सामान्य वार्ड
जिले में कोई कोरोना संक्रमित अस्पताल में उपचाराधीन नहीं है और नए केस भी नहीं मिल रहे हैं। जांच भी घट कर 100 से कम रह गई है। इसी के चलते छह आइसोलेशन वार्ड का सामान्य वार्ड के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। पीजीआई का ब्लॉक-सी व डे केयर कोविड मरीजों के लिए सुरक्षित है। सिविल अस्पताल में भी 32 बेड का आईसीयू खाली पड़ा है। जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग मरीजों के सैंपल महर्षि दयानंद विवि व आईसीएमआर की लैब में भेज रहा है।

हिसार: सिर्फ पांच प्रतिशत ने लगवाई बूस्टर डोज
नागरिक अस्पताल में चिकित्सक ओपीडी में आने वाले मरीजों को मास्क पहनने की हिदायत दे रहे हैं। जिले में अभी तक पांच प्रतिशत लोगों ने ही बूस्टर डोज लगवाई है। अस्पताल में कोविशील्ड दवा खत्म हो गई है। कोवाक्सिन की 500 डोज बची हैं। टीकाकरण के लिए आने वालों को कोवाक्सिन लगाई जा रही है।

फतेहाबाद: बिना बजट कैसे भेजेंगे जांच के लिए सैंपल
कोरोना संक्रमण को लेकर अलर्ट जारी होने के बाद अब खांसी-जुकाम व बुखार के सभी मरीजों का कोविड टेस्ट कराने का आदेश दे दिए गए हैं। कोरोना संक्रमित केस मिलने पर वैरिएंट जानने के लिए सैंपल दिल्ली की लैब में भेजा जाएगा लेकिन कोविड सैंपल भेजने के लिए विभाग के पास बजट नहीं है।

बिना चिकित्सक की सलाह के एंटीबॉयोटिक दवाओं व ऑक्सीजन का प्रयोग घातक: डॉ. ध्रुव
पीजीआईएमएस रोहतक में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. ध्रुव चौधरी ने बताया कि जब तक आवश्यक न हो कोई भी एंटीबॉयोटिक दवाएं व ऑक्सीजन न ले। बिना मतलब इनका प्रयोग घातक साबित होगा। वायरल संक्रमण में एंटीबॉयोटिक दवाएं काम नहीं करती और बगैर साफ-सफाई ऑक्सीजन लेने से ब्लैक फंगस का डर बना रहता है। कोरोना की पिछली लहर समाप्त होने के बाद अधिकांश मरीजों को ब्लैक फंगस से बचाना मुश्किल हो गया था।

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