हमारी संस्कृति की वाहक देवभूमि रही है : विजय प्रताप सिंह

प्रकृति एवं संस्कृति के बीच मेलजोल अति आवश्यक : विजय प्रताप
फरीदाबाद। देवभूमि की महान परंपरा उत्तरायणी कौतिक का रविवार को एन.एच.4 स्थित सामुदायिक केन्द्र में धूमधाम से आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन उत्तरांचल जन कल्याण समिति, कुमाउं सांस्कृतिक मंडल, उत्तराखंड युवा मंडल, बद्री नारायण कीर्तन मंडली, चंद्रबदनी कीर्तन मंडली, ताडक़ेश्वर कीर्तन मंडली, कुमाउं कीर्तन मंडली, नंदा देवी कीर्तन मंडली, उत्तराखंड कीर्तन मंडली, कुमाऊं कीर्तन मंडली ए ब्लॉक, महिला कीर्तन मंडली, बी एन पब्लिक स्कूल स्टाफ आदि के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम मेंं देवभूमि उत्तराखंड के हजारों लोगों ने शिरकत की और देवभूमि की संस्कृति एवं लोकसंगीत का भरपूर आनंद उठाया। इस मौके पर सुंदर झांकियों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेसी नेता एवं बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे विजय प्रताप सिंह एवं उनकी पत्नी वेणुका प्रताप सिंह मौजूद रहे। इस अवसर पर विजय प्रताप सिंह ने उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें प्रकृति एवं संस्कृति के साथ मेलजोल को बनाकर रखना चाहिए। अगर, हम उससे छेड़छाड़ करेंगे, तो निश्चित रूप से हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से उत्तर भारत में मकर संक्रांति उत्सव मनाया जाता है, उसी प्रकार उत्तराखंड देवभूमि में उत्तरायणी कौतिक पर्व मनाया जाता हैउन्होंने कहा कि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, मगर अपनी संस्कृति, अपनी धरती से जुड़े रहें। हमारे पूर्वजों ने अपनी परंपरा एवं संस्कृति को संजोए रखने का काम किया है और हमारी भी ये नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है ! इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से अपनी संस्कृति, लोक संगीत से रूबरू होने का अवसर मिलता है। विजय प्रताप ने कहा कि फरीदाबाद में विभिन्न समाज,वर्गो एवं प्रदेशों के लोग रहते हैं और विभिन्न-विभिन्न संस्थाओं के माध्यमों से अपनी सभ्यता एवं संस्कृति का यहां पर प्रचार-प्रसार करते रहते हैं। उन्होंने मकर संक्राति या उत्तरायणी कौतिक का महत्व बताते हुए कहा कि भीष्म पितामह ने भी सूर्य उतरायण होने पर अपनी स्वेच्छा से शरीर छोड़ा था। इस दिन सूर्यदेव दक्षिणायन की जगह उत्तरायण हो जाते हैं और भारत में नए मौसम एवंं नए दिन की शुरूआत होती है। इस दिन से भारत में दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं। विजय प्रताप ने कहा कि इसी प्रकार से हमें अपने उत्सव मनाने चाहिए और आपसी भाईचारे एवं संस्कृति का परिचय देना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजक ओमप्रकाश गौड ने इस मौके पर मुख्य अतिथि विजय प्रताप सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी वेणुका प्रताप खुल्लर का उत्तराखंड की दैवीय प्रतिमा एवं बुके देकर स्वागत किया। इस मौके पर मुख्य रूप से देव सिंह गुंसाई, योगेश बुडाकोटी, लोकेन्द्र बिष्ट, एडवोकेट राजेश बैसला, यशपाल रावत, संजय शर्मा दरमोड़ा, देव सिंह गुसाईं, लोकेंद्र सिंह बिष्ट, विजय रावत, वीरेंद्र मावी बिल्लू भाई, राजेश बैंसला, भुवन पंत, सागर भंडारी, राहुल नेगी, परवीन नेगी,उमेद गुसाईं, सुमित भट्ट, दीपक नेगी, आर जे मेहता, राहुल रावत, विनोद कौशिक,भारत भूषण आर्य, ललित मनराल, विनोद रावत, राकेश रावत, मनोज गुसाईं, मनोज सजवान, अनिल रावत, गणेश नेगी, ज्वाला सिंह, सुनिल चौहान, दिलबर असवाल, मोहित शर्मा, राकेश पंडित, अशोक थपलियाल, हरीश ढौंडियाल, राजवेंद्र कंडारी, कैलाश पंत, देवघर गैरोला, प्रेम बिष्ट, प्रमोद बिष्ट, तुला सिंह बिष्ट, जसवंत रावत, अमित रावत, सतीश सांगवान, विनोद कौशिक, राकेश पंडित, विरेन्द्र मावी, भारतभूषण आर्य, सुनीता गौड, सुनील कुमार, ललित मनराल, विजय थपलियाल, ज्वाला आदि मौजूद रहे।

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