अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला में पर्यटकों को लुभा ही रही है फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा, आना और रुपए की स्टॉल

-पर्यटक खरीद रहे हैं पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल तक के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के
सूरजकुंड (फरीदाबाद), 16 फरवरी। 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में पर्यटकों को फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा, आना और रूपए की स्टॉल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस स्टॉल पर पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्कों की पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि 36 वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला में सरकार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में मेला परिसर में ही छोटी चौपाल के सामने स्टॉल नंबर-709 पर हरियाणा सरकार की ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह के हिसार निवासी मास्टर बिजेन्द्र सिंह द्वारा यह सभी सिक्के एकत्रित किए गए हैं। इनमें मुख्य रूप से फूटी कौड़ी, दमड़ी, धैला, पाई, पैसा आना और रूपया और पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के देखने और खरीदने के लिए मिल रहें हैं। वहीं एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दौ सौ, पांच सौ, एक हजार और दो हजार रुपए के नोट भी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
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पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी है मास्टर बिजेन्द्र सिंह की स्टॉल
स्टॉल नंबर-709 पर दिनभर दर्शकों की भीड लगी रहती है। पर्यटक जहां आकर मास्टर बिजेंद्र सिंह की स्टॉल पर फूटी कौड़ी, दमडी, धैला, पाई, पैसा, आना और रूपया पाषाण काल से लेकर चौल साम्राज्य, मौर्य काल, मुगल कालीन दिल्ली सल्तनत और ब्रिटिश काल के एक, दो, तीन, पांच, दस, बीस, पच्चीस और पचास पैसे के सिक्के, एक, दो, पांच, दस, बीस, पचास, सौ, दौ सौ, पांच सौ, एक हजार और दो हजार रुपए के नए और पुराने नोटों को निहारते नजर आ रहे हैं। हरियाणा के हिसार निवासी मास्टर बिजेन्द्र सिंह का कहना हैं कि हरियाणा आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह के लोगों को नाबार्ड योजना के तहत इन्हें इक्कठा कर रख रखाव करने के लिए निशुल्क में दो सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है। वहीं उन्हें 50 रूपए प्रति दिन भत्ता और ठहरने, खाने-पीने तथा परिवहन सुविधा भी दी जाती है। इसके अलावा एकत्र की गई पुरानी और नई मुद्रा को बेचने के लिए बाजार की व्यवस्था और ऑनलाइन प्लेटफार्म प्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन के लिए खरीद भी करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणा आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह और एनजीओ के साथ मिलकर हिसार मंडल में हजारों परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायता मिल रही है।

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