बासिद अली  ने कला को बनाया रोजगार का जरिया

-राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम ने दिया सहारा
सूरजकुंड (फरीदाबाद), 15 फरवरी। कहते हैं किसी के हाथों में अगर कोई कला हो तो रोजगार के अवसर अपने आप खुलते जाते हैं। इसी कला के दम पर असम के बासिद अली अपने गांव के सैकड़ों लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। मेले में स्टॉल नंबर-425 पर बैंत, बांस व जूट से बने उत्पाद बेहतरीन हस्त कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस पुस्तैनी काम को बाशिद अली तीन दशक से कर रहे हैं। वर्ष 2012 में उन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम से लोन लेकर अपने कार्य को लघु उद्योग का रूप दिया तो अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर खुल गए। अब उनके बनाए उत्पाद देश-विदेश में मशहूर हैं।
वे अपने समूह मैं बास्केट, मुडा, कुर्सी, गमला, ट्रे, बैग, टी स्टैंड व हैंगिंग लैंप आदि कई ऐसे उत्पाद बनवाते हैं, जिनकी बाजार में अच्छी खासी डिमांड है। उन्होंने बताया कि उनके पिता सदर अली भी इसी कला में माहिर थे। यह हमारा पुश्तैनी कार्य है। आधुनिक दौर में मशीनों से टक्कर लेना आसान नहीं था। ऐसे में अपनी कला को आधुनिक दौर के हिसाब से निकालते हुए उसमें कुछ बदलाव किए। अब बैंत, बांस और जूट से बने उत्पाद का अच्छा खासा बाजार मौजूद है।

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