नेतृत्व विकास से ही क्षमताओं का विकास संभव: नेहरू

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया स्ट्रैटेजिक लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम
फरीदाबाद। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि नेतृत्व विकास से संस्थान की क्षमताओं का असीमित विकास संभव है। इसके लिए रचनात्मकता, सहभागिता और प्रतिबद्धता सबसे बड़े आधारभूत हैं। व्यवहारिकता के साथ एक फ्रेमवर्क में लक्ष्य पर केंद्रित करके आगे बढऩे से नेतृत्व का विकास होता है। कुलपति श्री राज नेहरू शनिवार को आयोजित स्ट्रेटजिक लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम में बोल रहे थे। इंटरनेशनल कोच योगेश सूद ने इस एक दिवसीय ग्रिड लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं, संयुक्त निदेशकों, प्रोफेसर और उप कुल सचिवों को नेतृत्व विकास के गुर सिखाए।

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने कहा कि नेतृत्व विकास के माध्यम से हम परिणामों को बदल सकते हैं। उपलब्ध मानवीय संसाधनों से उत्पादकता और बढ़ा सकते हैं। इसलिए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय निरंतर नेतृत्व विकास की दिशा में रचनात्मक प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में ग्रिड लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया है।

इस मौके पर बीवाईएलडी समूह के संस्थापक और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षक योगेश सूद ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ ना कुछ अनुपम जरूर होता है। हर व्यक्तित्व की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। उनको एक सही दिशा में ऊर्जा लगाकर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। किसी भी संस्थान की उन्नति के लिए नेतृत्व की उत्कृष्टता और टीमवर्क कौशल सबसे जरूरी है। योगेश सूद ने केआईटीए (कीटा) की अवधारणा पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें हमेशा एक दूसरे के साथ संपर्क में रहना चाहिए इससे नेतृत्व का विकास होता है और हमें एक दूसरे से अच्छी बातें सीखने का अवसर मिलता है।

साथ ही उन्होंने व्यक्तिगत जागरूकता को और अधिक गहरा करने पर बल दिया। अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षक योगेश सूद ने कहा कि हमें यह भी समझने की आवश्यकता है कि हमारा व्यवहार दूसरों पर किस तरह से प्रभाव डालता है। हम अपने प्रभाव को सकारात्मक दिशा में ले जाकर अपने मातहत लोगों को किस तरह से बेहतर करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं यह बहुत जरूरी है। हमें व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को अधिक बढ़ाना चाहिए, ताकि हमारा नेतृत्व अच्छे परिणाम ला सके। हमें समन्वय के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहना चाहिए। योगेश सूद ने समालोचना के कौशल का विकास करना भी सिखाया।

इस अवसर पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. आर एस राठौड़, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ज्योति राणा, शिक्षा शास्त्र एवं क्षमता निर्माण के प्रो. ऋषि पाल, परीक्षा नियंत्रक प्रो. निर्मल सिंह, प्रो. आशीष श्रीवास्तव, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. रणजीत सिंह, संयुक्त निदेशक अम्मार खान, अंबिका पटियाल, विनीत सूरी, उप कुलसचिव डॉ. ललित शर्मा, अंजू देवी, प्रो. संजय सिंह राठौड़, एसोसिएट प्रो. सविता शर्मा, डॉ. श्रुति गुप्ता, डॉ. समर्थ सिंह, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राजकुमार और डॉ. रविंद्र उपस्थित थे।

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