मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने मरीजों को अपने अनुभव साझा करने एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए आमंत्रित कर मनाया ‘सफल लिवर प्रत्यारोपण का जश्न

अगर सही समय पर ट्रांसप्लांट किया जाए तो स्थापित वैश्विक मानकों के अनुसार लिवर ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) के सफल होने की दर लगभग 95 फीसदी हो जाती है

फरीदाबाद, 13 मई। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने सर्जरी से पहले और बाद में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए मरीजों को आमंत्रित करके लिवर प्रत्यारोपण की सफलता का जश्न मनाया। इस मौके पर मरीजों को एक ऐसा मंच मिला जहां उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया कि वे लीवर ट्रांसप्लांट टीम के साथ कैसे जुड़े, सर्जरी के बाद उनकी जीवन शैली क्या है, और समाज को उनका इतना कहना है कि स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है और स्वास्थ्य चुनौतियों से मुक्त जीवन कितना बेहतरीन है। मरीजों के साथ टीम का नेतृत्व मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. पुनीत सिंगला ने किया।

उनके साथ डॉ ऋषभ जैन, डायरेक्टर, एनेस्थेटिस्ट और आईसीयू केयर, और सर्जरी, एनेस्थीसिया और आईसीयू में टीम के अन्य सदस्य शामिल हुए। लिवर व्यक्ति के शरीर में सबसे बड़े अंगों में से एक है और भोजन का पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मेटाबॉलिज्म (भोजन को पचाकर ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया) को ठीक बनाए रखने, रक्त को शुद्ध बनाने और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने, विटामिन और खनिजों को जमा करने और शरीर में पोषक तत्वों को इक_ा करने जैसे कुछ सबसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर के ये सभी फंक्शन विभिन्न कार्यों और गतिविधियों को करने के लिए शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। लिवर खराब होने की आखिरी स्टेज में मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।

ट्रांसप्लांट की नौबत जीवनशैली से जुडी कुछ स्वास्थ्य समस्याओं (मोटापा, हाई, डायबिटीज), संक्रमण की चपेट में आने और लिवर की बीमारी के कारण भी आ सकती है। पंजाब से क्रॉनिक लिवर फेलियर, किडनी फेलियर, कोविड, मल्टीपल बीपी सपोर्ट मेडिसिन और पेट की दीवार से खून बहने की समस्या के साथ 40 वर्षीय सतविंदर सिंह (बदला हुआ नाम) मरीज डॉ. पुनीत के पास लाया गया था। ऐसे मरीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना (शिफ्ट करना) अपने आप में एक कठिन और जोखिम भरा काम है; उन्हें लगभग 400 किलोमीटर से सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर दिया गया। मरीज को आईसीयू में कई विशिष्ट टीमों द्वारा सामान्य किया गया था। मरीज की पत्नी ने अपने उसे अपना लिवर डोनेट किया जो मरीज में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया।

वर्तमान में, मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया है और फिर से सामान्य जीवन जी रहा है, अपने व्यवसाय में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। डोनर भी सामान्य जीवन जी रही है। यह मामला कई बीमारियों के एक साथ होने के कारण काफी चुनौतीपूर्ण था, सर्जन की टीम को एक बहुत ही बीमार मरीज की एक उच्च जोखिम वाली सर्जरी करनी थी। जिस गंभीर स्थिति में मरीज को हॉस्पिटल में लाया गया था, इलाज न मिलने पर 1-2 दिनों में उस स्थिति में मरीज की जान जा सकती थी।

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