नेहरू कॉलेज के संस्कृत विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

संस्कृत विभाग, पं. जवाहरलाल नेहरू राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, गुजरात के संस्कृत विभाग तथा चातुर्वेद-संस्कृतप्रचार-संस्थान, काशी के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ पर ऑनलाइन माध्यम से राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संगोष्ठी की मार्गदर्शिका महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रुचिरा खुल्लर ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है तथा हम सभी को इस से लाभ लेना चाहिए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रपति-पुरुस्कार प्राप्त प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान प्रो. जयप्रकाश नारायण द्विवेदी जी द्वारा की गयी। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि गीता वैश्विक ही नहीं अपितु ब्रह्मांडीय ज्ञान है। संगोष्ठी के मुख्यवक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. जटाशंकर तिवारी जी ने अपने वक्तव्य में गीता के दर्शन की वैश्विक व्यापकता पर चर्चा करते हुए विश्व के प्रमुख दार्शनिकों पर गीता के ज्ञान के प्रभाव का प्रामाणिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की विशिष्टवक्त्री प्रो. दुर्गा जोशी जी ने श्रीमद्भगवद्गीता की मूल्यमीमांसा पर प्रकाश डालते हुए गीता में वर्णित धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आचारपरक मूल्यों पर सुन्दर चर्चा की।

संगोष्ठी के संयुक्त संयोजक महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. जोरावर सिंह ने कहा कि एकादशी तिथि पर आयोजित इस गोष्ठी में सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ ज्ञानरूपी दान तथा सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माने गए स्वाध्याय रूपी व्रत का पालन किया गया। संगोष्ठी के आरम्भ में बालिका श्रेयसी (आयु 5 वर्ष) द्वारा वैदिक मंगलाचरण किया गया तथा दिशा ठाकुर (आयु 11 वर्ष) व यजुष ठाकुर (आयु 12 वर्ष) द्वारा गीता के श्लोकों का पाठ किया गया। संगोष्ठी के समन्वयक सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. मनसुख मोलिया ने स्वागतभाषण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के संयोजक डॉ. चन्द्रकान्त दत्त शुक्ल ने बताया कि यह गोष्ठी प्रत्येक एकादशी तिथि को आयोजित की जाती है तथा इस क्रम में यह 21वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी है। संगोष्ठी का संचालन प्रसिद्ध संस्कृत कवि डॉ. अरविन्द तिवारी ने सफलतापूर्वक किया। अन्त में डॉ. जोरावर सिंह ने उपस्थित सभी विद्वानों व श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।

संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के 100 से अधिक आचार्यो व शोधार्थियों ने भाग लिया। नेहरू महाविद्यालय की ओर से संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ गिरिराज, डॉ गीता व सांध्यकालीन महाविद्यालय से डॉ उपासना शर्मा, सुमन जून, भगवान दास, रिनाक्षी यादव, संगीता, भूमेश, डॉ. दुर्गेश शर्मा तथा दर्शन विभाग से वन्दना नोहरिया, मनोविज्ञान विभाग से डॉ कंचन जमीर आदि प्राध्यापक विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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