लोधी राजपूत जनकल्याण समिति ने स्वामी ब्रह्मानन्द की जयंती मनाई

फरीदाबाद, 04 दिसम्बर लोधी राजपूत जन कल्याण समिति के डबुआ कालोनी स्थित कार्यालय पर स्वामी ब्रह्मानन्द की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व विधायक नगेन्द्र भड़ाना, भाजपा ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष भगवान सिंह, जेडीयू के युवा नेता सचिन तंवर एडवोकेट, सुरेश चन्द्र पाठक समिति के संस्थापक/महासचिव लाखन सिंह लोधी, अध्यक्ष रूप सिंह लोधी ने स्वामी ब्रह्मानन्द के चित्र पर पुष्प अर्पित किए तथा उनके चित्र के समक्ष दीप भी प्रज्जवलित किया। समिति के संस्थापक/महासचिव लाखन सिंह लोधी स्वामी ब्रह्मानन्द की जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि स्वामी ब्रह्मानन्द  का जन्म 4 दिसम्बर 1894 को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की राठ तहसील के बरहरा नामक गांव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।
उनके पिता का नाम मातादीन लोधी तथा माता का नाम जशोदाबाई था। स्वामी ब्रह्मानन्द के बचपन का नाम शिवदयाल था। स्वामी ब्रह्मानन्द जी की प्रारम्भिक शिक्षा हमीरपुर में ही हुई। इसके पश्चात उन्होंने घर पर ही रामायण, महाभारत, गीता, उपनिषद और अन्य शास्त्रों का अध्ययन किया। इसी समय से लोग उन्हें स्वामी ब्रह्मानन्द कहकर बुलाने लगे। पिता मातादीन लोधी को डर सताने लगा कि कहीं उनका पुत्र साधु न बन जाए। इस डर से उन्होने स्वामी ब्रह्मानंद जी का विवाह सात वर्ष की उम्र में हमीरपुर के ही गोपाल महतो की पुत्री राधाबाई से करा दिया।
स्वामी ब्रह्मानन्द जी ने 24 वर्ष की आयु में पुत्र और पत्नी का मोह त्याग गेरूए वस्त्र धारण कर हरिद्वार में भागीरथी के तट पर हर की पेड़ी पर सन्यास की दीक्षा ली। सन्यास के बाद शिवदयाल लोधी संसार में स्वामी ब्रह्मानन्द के रूप में प्रख्यात हुए। सन्यास ग्रहण करने के बाद उन्होने सम्पूर्ण भारत के तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया। इसी बीच उनका अनेक महान साधु संतों से संपर्क हुआ। इसी बीच उन्हें गीता रहस्य प्राप्त हुआ। स्वामी जी ने नमक आन्दोलन में हिस्सा लिया देश की स्वतंत्रता के लिए कई बार जेल गए। पंजाब के भटिंडा में उनकी महात्मा गांधी जी से भेट हुई। 1967 में सांसद बनकर गौ हत्या कानून बनाने की मांग उठाई। इन्होंने शिक्षा के लिए हमीरपुर जैसे क्षेत्र में स्वामी ब्रह्मानन्द कृषि महाविद्यालय, स्वामी ब्रह्मानन्द संस्कृत महाविद्यालयों की स्थापना की। इस कार्यक्रम में दिनेश राघव, बाबा वीरभद्र नाथ, धर्मपाल सिंह लोधी, होती लाल लोधी, भाई लाल लोधी, रामगोपाल लोधी सहित लोधी समाज के सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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