आशारामजी बापू की हालत गम्भीर, इच्छानुरूप चिकित्सा उपलब्ध करवाने की माँग, सांसद को सौंपा ज्ञापन

फरीदाबाद, 24 फरवरी श्री योग वेदांत सेवा समिति फरीदाबाद द्वारा राष्ट्रपति के नाम से सांसद श्री कृष्णपाल गुर्जर को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की शीघ्र अतिशीघ्र रिहाई व उन्हें उनकी इच्छानुसार चिकित्सा सुविधा दिए जाने की माँग करते हुए हेतु ज्ञापन सौंपा गया।
इस संबंध में श्री योग वेदांत सेवा समिति के प्रवक्ता श्री रामा भाई जी ने बताया कि झूठे आरोपों के तहत जोधपुर कारागार में रखे गये 86 वर्षीय संत आशारामजी बापू के स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत नाजुक है । जेल जाने से पूर्व 74 की उम्र में अतिव्यस्त जीवनशैली के बावजूद बापूजी को सिर्फ ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया व पीठ-दर्द की तकलीफ थी लेकिन 11.5 वर्ष से अधिक समय से लगातार कस्टडी के तनावयुक्त वातावरण से अब 86 वर्ष की इस वयोवृद्ध अवस्था में उनको हृदयरोग, पौरुष ग्रंथि की वृद्धि (prostate enlargement), संधिवात (arthritis) एवं रक्ताल्पता (anaemia) आदि नयी बीमारियों ने भी घेर लिया है । तनावमुक्त वातावरण में इच्छानुसार चिकित्सा आदि के अभाव से इन प्राणघातक बीमारियों की निवृत्ति न होने से उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है ।
आशारामजी बापू 13 जनवरी से 6 फरवरी 2024 तक जोधपुर के एम्स अस्पताल में कार्डियक आई.सी.यू. में भर्ती रहे हैं । AIIMS की रिपोर्ट के अनुसार उनके हृदय में 3 गम्भीर (99%, 90% और 75%) ब्लॉकेज हैं । बापूजी को लगातार रक्तस्राव हो रहा है, जिसकी वजह से उनके हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। उनकी गम्भीर शारीरिक स्थिति को देखते हुए हाल ही में पैरोल की अर्जी लगायी गयी थी जिसे उनके रोग की भयानकता को अनदेखा करके रद्द कर दिया गया ।
आशारामजी बापू ने अपना सारा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में, राष्ट्रोत्थान के लिये लगा दिया, उनके अनेक विध लोकहितकारी सेवाकार्यों के द्वारा किसी मत, पंथ, सम्प्रदाय के भेदभाव के बिना करोड़ों लोग लाभान्वित हुए हैं, फिर भी आज उनके स्वास्थ्य की इतनी गम्भीर स्थिति में उन्हें अनुकूल, उत्तम और त्वरित इलाज के लिए किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है । बापूजी के केसों के तथ्यों और सबूतों को देखते हुए तो अनेक कानूनविदों का कहना है कि उन्हें निर्दोष छोड़ा जाना चाहिए । जबकि उन्हें स्वास्थ्य सुधार के लिए भी कोई राहत नहीं मिल पा रही है ।
2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि “कैदी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने में उदारता बरती जानी चाहिए । व्यक्ति का सेहत ठीक रहे यह सबसे जरूरी है । उसकी सेहत से संबंधित समस्याओं का राज्य सरकार ध्यान रखे, न्यायपालिका को भी इसे सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए ।”
यह हर नागरिक का ऐसा संवेदनशील मौलिक अधिकार है जिसकी रक्षा होनी ही चाहिए । लेकिन आशारामजी बापू के मौलिक अधिकार का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है ।
घोटाले, हत्या, बमब्लास्ट जैसे जघन्य केसों के आरोपियों, दोषियों को भी जब राहत दी जाती है तो निर्दोष संत आशारामजी बापू को उनकी इच्छा के अनुरूप उचित इलाज कराने से क्यों वंचित रखा जा रहा है ? यह उनके मानवाधिकारों व संवैधानिक अधिकारों का हनन है । जिससे उनके देश-विदेश के करोड़ों साधक शिष्य अत्यंत व्यथित हैं ।
श्री योग वेदान्त सेवा समिति एवं सभी साधक परिवार, नारी संगठन एवं कई हिन्दू संगठनों के द्वारा यह मांग की गई कि देश, धर्म, संस्कृति और समाज के सर्वांगीण उत्थान में पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का बड़ा योगदान है अतः सरकार द्वारा पूज्य बापूजी को उनकी इच्छानुसार यथेच्छित स्थान पर यथानुकूल चिकित्सा-पद्धति द्वारा उपचार हेतु शीघ्रातिशीघ्र राहत दी जानी चाहिए व उनके मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए व 86 वर्षीय उम्र और वृद्धावस्था को देखते हुए उनकी शीघ्रातिशीघ्र ससम्मान रिहाई हेतु योग्य स्तर पर उचित कार्यवाही की जायें ।
ज्ञापन सौंपने वालों में श्री योग वेदांत सेवा समिति के पदाधिकारियों सहित अन्य कई साधकगण व प्रतिष्ठित नागरिक व सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे ।

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