निर्माण में नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल जरूरी – डॉ. राज नेहरू

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय तथा भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्द्धन परिषद के बीच हुआ समझौता

फरीदाबाद, 29 फरवरी श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय तथा भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्द्धन परिषद के बीच एक समझौता हुआ है। इसके अंतर्गत दोनों संस्थान नई भवन प्रणाली को प्रोत्साहित करने के अलावा दीर्घकालिक निर्माण तकनीक पर संयुक्त रूप से कार्य करेंगे। विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा और परिषद के कार्यकारी निदेशक डॉ. शैलेश कुमार अग्रवाल ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा कि इससे सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी। डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हमारे देश में बड़े स्तर पर निर्माण होता है, लेकिन नवीनतम तकनीकों का इसमें इस्तेमाल सबसे ज्यादा जरूरी है। कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि आने वाले समय में सिविल इंजीनियरिंग से संबंधित प्रस्तावित कार्यक्रमों, फील्ड के अनुभव के प्रति गहरी समझ और जमीनी स्तर पर नई भवन निर्माण तकनीक को लागू करने की चुनौतियों से निपटा जा सकेगा।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के निर्माण प्रबंधन एवं तकनीक विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.के. वाटल ने बताया कि यह समझौता काफी महत्वपूर्ण है। इससे सिविल इंजीनियरिंग विशेष तौर पर निर्माण के क्षेत्र में और अधिक कुशलता लाने में मदद मिलेगी। साथ ही भवन निर्माण के मूल्यांकन एवं उसकी गुणवत्ता के आकलन की दिशा में भी दोनों संस्थान मिलकर नए-नए आयामों पर काम करेंगे।
समझौता ज्ञापन के अनुसार जलवायु परिवर्तन, दुर्गम पारिस्थितिकी, साइक्लोन जोन एवं भूकंप प्रभावित क्षेत्र इत्यादि में भवन निर्माण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर भी भविष्य में मिलकर काम करेंगे। इसके अलावा भवन निर्माण तकनीक की नवीनतम विधियों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना भी एक मकसद होगा। देश-विदेश में कुछ उल्लेखनीय प्रोजेक्ट के विषय पर भी इसके अंतर्गत चर्चा होगी। इस अवसर पर इंडस्ट्री इंटीग्रेशन सेल के डिप्टी डायरेक्टर अमीष अमेय और परिषद की ओर से इंजीनियर एस के गुप्ता भी उपस्थित थे।

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