किडनी रोगियों ने स्टेज पर दी रंगारंग डांस की प्रस्तुति

पांच साल के ऋषभ ने भोजपुरी गीत पर मचाया धमाल, छह महीने पहले हुआ था ट्रांसप्लांट

फरीदाबाद। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में विश्व किडनी दिवस की शाम रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें किडनी के रोगियों ने स्टेज पर बॉलीवुड गानों पर शानदार डांस की प्रस्तुति दी। पांच वर्ष के ऋषभ ने भोजपुरी गाने पर धमाके दार प्रस्तुति देकर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे एनएचपीसी के डायरेक्टर उत्तम लाल ने डोनर कार्ड की शुरुआत की। जिससे लोग मरणोपरांत अंग दान कर सके। इस मौके पर अस्पताल चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता, वरिष्ठ सर्जन डॉ. प्रबल रॉय, डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. युवराज कुमार ने शानदार प्रस्तुति देने वालों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि रोहतक से आई तृप्ति ने ताल से ताल मिला गाने पर शानदार डांस की प्रस्तुति दी। कुछ वर्ष पहले तृप्ति की किडनी फेल हो गई थी और डायलिसिस की जरूरत पड़ी थी। इस दौरान 21 दिन तक उन्हें बिल्कुल पेशाब नहीं हुआ। लेकिन, समय पर उचित इलाज से उनकी किडनी ने फिर से काम करना शुरू कर दिया। अब वह स्वस्थ है।

किडनी का इलाज करवा रही मरीज वर्तिका, रमणसी और डायलिसिस के डॉ. पंकज और राजेश डेजी अब्राहम और अन्य लोगों ने भी रंगारंग प्रस्तुति देकर संमा बांध दिया। पांच वर्ष का ऋषभ जिसका छह महीने पहले एकॉर्ड अस्पताल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। उसकी मां ने उसे किडनी दी थी। आज वह बच्चा स्वस्थ है। उसने भोजपुरी गाने पर धमाकेदार प्रस्तुति दी। इस मौके पर कवि दिनेश रघुवंशी और नमिता राकेश ने अंतरआत्मा झकझोर देने वाली कविताओं का संकलन प्रस्तुत किया। डॉ. जितेंद्र ने कहा कि ट्रांसप्लांट के बाद पढ़ाई लिखाई और नौकरी संभव है। दीपाली नागपाल इसका एक उदाहरण हैं। निधि ने अपनी किडनी फेलियर के 16 साल के सफर को याद किया। उन्होंने ट्रांसप्लांट करवा कर पढ़ाई के बाद नौकरी और फिर शादी करके छह महीने पहले एक बच्चे को जन्म दिया। इस मौके पर पूर्व क्रिकेटर विजय यादव के जन्मदिन पर केक काट कर सभी ने सेलिब्रेशन किया।

डॉ. आंचल मखिजा और खालिदा ने लोगों को अंग दान के लिए प्रोत्साहित किया। ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सौरभ जोशी ने सदाबहार गीतों की प्रस्तुति देकर लोगों की खूब तालियां बटोरी। डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा कि किडनी की बीमारी होने पर लोग जिदंगी से हार मानने लगते हैं। ऐसे लोगों के लिए किडनी के ये मरीज एक प्रेरणा स्रोत हैं। जिन्होंने बीमारी से हार नहीं मानी और आज डायलिसिस पर और कुछ ट्रांसप्लांट के बाद खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि एकॉर्ड कृत संकल्प है कि किडनी की बीमारी का उच्च कोटि इलाज समाज के हर तबके को मिल पाए। इस अवसर पर अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता और गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. रामचंद सोनी ने सभी को बीमारियों से लड़कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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