एड्स की बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल एक दिसंबर को ‘विश्व एड्स दिवस’ : मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स

फरीदाबाद : डॉ. मीत कुमार, डायरेक्टर एवं एचओडी-हेमेटो ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद का कहना है कि एड्स की बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल एक दिसंबर को ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है। एड्स एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो एचआईवी वायरस से संक्रमित स्त्री या पुरुष के ब्लड के माध्यम से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाती है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को कम कर देता है जिससे उस व्यक्ति को कई अन्य बीमारियां से जल्दी प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है।

एड्स मरीजों के साथ हाथ मिलाने या उनके साथ भोजन करने से इसका संक्रमण नहीं फैलता है। यदि मां एचआइवी संक्रमित है तो पैदा होने वाले नवजात शिशु के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। इस वायरस की चपेट में आने का खतरा सबसे ज्यादा उन लोगों को होता है जो किसी एचआइवी संक्रमित से असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाते हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का ब्लड किसी तरह से स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ा जाने या संक्रमित का कोई अंग प्रत्यारोपित होने या संक्रमित नीडिल के प्रयोग से भी दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमण हो जाता है।

आज एचआईवी इन्फेक्शन के लिए बहुत ही प्रभावशाली इलाज उपलब्ध है जिससे संक्रमण को नियंत्रण में रखा जाता है लेकिन इस बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। इसलिए मरीज को जिंदगी भर दवाइयां खानी पड़ती हैं। संक्रमण को नियंत्रित करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाए रखने के लिए मरीज को दवाइयां दी जाती हैं।

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