मानवता का पाठ पढऩे हेतु ध्यान-कक्ष पहुंचे एनसीआर के विद्यालय

फरीदाबाद। सतयुग की पहचान व मानवता के स्वाभिमान नाम से प्रख्यात, फऱीदाबाद, ग्राम भूपानी स्थित, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखने, पहुंच रहे हैं एनसीआर के विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य, अध्यापकगण एवं छात्र-छात्राएँ। ज्ञात हो कि एकता का प्रतीक यह ध्यान-कक्ष – भौतिक ज्ञान से भिन्न आत्मिक ज्ञान प्रदान करने वाले समभाव-समदृष्टि के स्कूल के नाम से जाना जाता है। जो हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई जैसे धार्मिक भेद-भावों से उबर हर मानव को मानव-धर्म अनुरूप इंसानियत में बने रहने का सबक़ सिखाता है।

जो रूप-रंग व रेखा से सुसज्जित विभिन्न भाव-स्वभाव वाले प्राणियों के मध्य समभाव से विचरने की कला सिखाता है तथा जो विषमता भरे इस कलुषित वातावरण में समदर्शिता अनुरूप सज्जन भाव से व्यवहार करने की दीक्षा देता है। हैरानी की बात तो यह है कि यहाँ न कोई गुरु है न चेला। न किसी शरीर की मानता है न किसी तस्वीर की अपितु यहाँ तो शब्द को ही गुरु माना जाता है तथा सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित सतयुगी नैतिकता व आचार-संहिता से परिचित करा निष्कामता से मिलजुल कर, सर्वहित के निमित्त शांतिमय परोपकारी जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है।

शायद यही विशेष बिन्दु हैं जिनके कारण न केवल आज फरीदाबाद अपितु दिल्ली एनसीआर का आम नागरिक अपितु विद्यालयों, कालेजों, सोसाइटीज़ इत्यादि के सदस्य भी बरबस खिंचे चले जाते हैं और स्थापत्य कला की अद्भुत मिसाल इस ध्यान कक्ष की शोभा निहारने के साथ-साथ, प्रदान की जा रही सतयुगी नैतिकता से सराबोर हो अपना जीवन सफल बनाते हैं। इस महत्ता के दृष्टिगत सजनों सभी स्कूलों, कालेजो के प्रधानाचार्यो/शिक्षाविदों, शासकों व साधारण जनता से अपील है कि वे मानव जाति को दुष्चरित्रता की गर्त से उबार कर, पुन: सद्-चरित्र इंसान बनाने के इस प्रयास में पूरे दिल व निष्काम भाव से अपना सहयोग दें। इस तरह परिवारों सहित अपने जानकारों यानि सगे-सम्बन्धियों को इस समभाव-समदृष्टि के स्कूल से (प्रति रविवार आनलाइन/ऑफलाइन दोनो तरीकों से) प्रदान की जा रही आत्मिक ज्ञान की शिक्षा से जोडक़र, उनका आत्मिक उद्धार करें।

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