4500 जरूरतमंदों को सतयुग दर्शन ट्रस्ट ने वितरित की जरूरतमंद सामग्री
फरीदाबाद। भूपानी ग्राम स्थित, सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि0) महाबीर सत्संग सभा का विस्तारित रूपांतरण है और इसका परिसर सतयुग दर्शन वसुन्धरा के नाम से प्रसिद्ध है। इस संदर्भ में यह भी जानो कि सतयुग दर्शन वसुन्धरा पर स्थापित ध्यान-कक्ष यानि विश्व के प्रथम समभाव-समदृष्टि के स्कूल का निर्माण सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित कुदरती कला के अनुसार हुआ है। इसकी दिव्यता को दृष्टिगत रखते हुए जहाँ हरियाणा सरकार ने इसे दर्शनीय स्थल घोषित किया है वही भारत सरकार ने अतुल्य भारत यानि इनक्रेडिबल इंडिया के तहत् इसे वास्तुकला की सुंदरता की अद्वितीय मिसाल माना है। इतनी ही नहीं, यहाँ की प्रत्येक गतिविधि वैश्विक स्तर पर हर मानव को सतयुग की आद् संस्कृति से परिचित करा उसे पुन: मानवता का प्रतीक बनाने से सम्बन्धित है ताकि आज का विषयग्रस्त मानव समय रहते ही मानवता का स्वाभिमान और सतयुग की पहचान बन अपनी आद् इलाही शान को प्राप्त हो, सजनता का प्रतीक बन सके।
इसी के साथ एकता, एक अवस्था में स्थित रहते हुए निष्काम भाव से हर विध् कुदरती वेद-विहित् ज्ञान अनुसार, जगत कल्याण के निमित्त समर्पित हो, परोपकार प्रवृत्ति में ढ़ल सके और निर्विकारिता से जीवन जीने के योग्य बन सके। इसी परिप्रेक्ष्य में ट्रस्ट द्वारा संचालित नाना प्रकार की गतिविधियों की श्रृंखला में आजकल जो मुख्यत: प्रसिद्ध हो रहा है वह है विश्वस्तरीय निष्काम सेवा अभियान जिसके तहत् देश-विदेश के विभिन्न भागों में निवास कर रहे, ट्रस्ट के सदस्य अपनी एक माह की आय को मानवता के कल्याण के निमित्त समर्पित कर, निष्काम भाव से अभावग्रस्तों की सेवा कर रहे हैं।
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इस संदर्भ में गत रविवार की भांति इस रविवार भी फरीदाबाद क्षेत्र के निकटवर्ती गाँवों में निवास कर रहे जरूरतमंद परिवारों का सर्वेक्षण कर, उनकी सहायतार्थ ट्रस्ट ने खुले दिल से अपने द्वार खोले और उनके मध्य भोजन, राशन, कपड़े आदि वितरित किया। नि:स्वार्थ भाव से सामूहिक वितरण का यह कार्यक्रम बिना किसी भेदभाव के प्रात: 6 बजे आरम्भ हुआ जिसमें 4500 जरूरतमंदों सजनों ने सपरिवार भाग लिया। आयोजन के दौरान सतयुग दर्शन ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी ने उपस्थित सजनों का तहे दिल से स्वागत किया।
यही नहीं उन्होंने सबको शारीरिक व मानसिक स्वस्थता हेतु सात्विक आहार, उच्च विचार व सदाचरण अपना कर पारिवारिक एकता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होने कहा कि कुदरत के आवाहन अनुसार यह प्रयोजन एक छोटा सा प्रयास है अपने सार्वभौमिक परिवार के प्रति समाज के प्रत्येक सदस्य को जागरूक कर, जरूरतमंदों तक उनका हक निष्काम भाव से पहुँचाने का व उनके उदासीन चेहरों पर प्रसन्नता लाने का। अत: दिनाँक 1 जुलाई से आरम्भ होकर दिनाँक 31 जुलाई तक चलने वाले इस अभियान का प्रत्येक सामाजिक सदस्य व सम्पन्न परिवार हिस्सा बनें और आत्मीयता व परोपकारिता की भावना से ओत-प्रोत हो मालिक के प्यारों की अमानत उन तक पहुँचाने में अपना निष्कामतापूर्वक योगदान दें।
अंत में उन्होने कहा कि जो आनन्द खुले दिल से सबको ए विध् प्रसन्नता बाँटने में निहित है वह कदाचित् निजी स्वार्थपूर्ति हेतु एकत्रित करने में नहीं। अत: समाज के जागरूक नागरिक होने के नाते त्याग भावना से खुद को मानवता के उद्धार के निमित्त समर्पित करो और पुण्य कर्म कमाओ। आयोजन के अंत में उपस्थित सभी सजनों ने समभाव समदृष्टि के स्कूल अर्थात् ध्यान कक्ष का भ्रमण किया और आंतरिक शांति-शक्ति का अनुभव करने के साथ-साथ, संतोष, धैर्य, सच्चाई, धर्म जैसे सद्गुणों को अपना कर, अपना जीवन सुखी बनाने का संदेश प्राप्त किया।