अध्यापक संघ ने वादाखिलाफी व तुगलकी फरमानों के विरोध में शिक्षा अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

फरीदाबाद। सरकार एवं विभाग की वादाखिलाफी और तुगलकी फरमानों के खिलाफ हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबद्ध सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा एवं स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के शिष्टमंडल ने खंड  फरीदाबाद शिक्षा अधिकारी श्रीमती कमल सिंह को ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल में जिला प्रधान मुकेश गर्ग, उप प्रधान वीरेंद्र जाखड़,खंड प्रधान माया राम, उपकार फौगाट, सतीश चंद,  विकास शर्मा इत्यादि पदाधिकारी शामिल रहे। यह जानकारी देते हुए जिला प्रधान मुकेश गर्ग बताया कि शिक्षा नीति 2020 की आड़ में केंद्र व राज्य सरकार लगातार सार्वजनिक शिक्षा के ढांचे को सिकोड़ रही है और बैठकों में मानी गई मांगों को लागू न करके बार-बार वादाखिलाफी कर रही है। उन्होंने बताया कि मई मास में सभी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंध समिति की कार्यकारिणी का गठन किया गया था। परन्तु जुलाई माह के शुरू में ही इन समितियों के रद्द करने का पत्र जारी हो जाता है।

जिसमें अटैच प्राथमिक और विद्यालयों की विद्यालय प्रबंधन समितियों को रद्द करके माध्यमिक, उच्च या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के साथ एक ही समिति बनाने के आदेश दे दिए गए। जो एक तो मई मास में बनाई गई समितियों के सदस्यों की प्रतिष्ठा का सवाल खड़ा करता है और दूसरा प्राथमिक विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों की समस्याएं व जरूरतें बड़े बच्चों से भिन्न प्रकार की होती हैं। इसलिए प्राथमिक विद्यालय को अलग इकाई के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसएमसी की एक यूनिट बनाने के बहाने लगभग 5 हजार सरकारी स्कूलों के मर्जर की व्युहरचना रची जा रही है।  खंड फरीदाबाद प्रधान श्री माया राम ने बताया कि कि रूल 2012 के अनुसार हरियाणा सरकार 50 प्रतिशत अंकों की आड़ में अध्यापकों को एसीपी पर रोक लगा रखी , जबकि 2012 के नियमों में ही 45 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए उससे कम प्रतिशत के लिए भी प्रावधान है। परन्तु अधिकारी अपनी मनमानी कर रहें हैं ।

अत: स्पष्ट है कि इन नियमों की आड़ में हरियाणा सरकार एसीपी नहीं देना चाहती, जो कि अध्यापकों के साथ सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार पारदर्शिता का ढोल पीट रही है दूसरी तरफ कोई ना कोई बहाना लेकर अध्यापकों के लाभों को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि तर्कसंगत ढंग से रेशनेलाइजेशन करके अप्रैल माह तक सभी अध्यापकों के तबादले किए जाने चाहिए थे, परन्तु तारीख पर तारीख देकर तबादलों पर सरकार का टरकाऊ रवैया जारी है। प्राथमिक अध्यापकों से तबादले की शुरुआत करते हुए अतिथि अध्यापकों को भी ट्रांसफर ड्राइव में साथ ही शामिल किया जाए और उससे पहले अध्यापकों के सभी वर्गों की पदोन्नति सूचियां जारी की जाए।

पीजीटी पंजाबी पर पदोन्नत सभी अध्यापकों को मनमर्जी से दूर दराज स्टेशन अलॉट कर दिए गए हैं, उन्हें अतिशीघ्र ऑनलाइन काउंसिलिंग से स्टेशन अलॉट किए जाए और विद्यालय में पीजीटी फाइन आर्ट का पद सृजित करने में 300 विद्यार्थियों की व पीजीटी फिजिकल एजुकेशन का पद सृजित करने में संबंधित विषय के 40 विद्यार्थियों की शर्त को हटाया जाए। कक्षा 6 से 12 तक सप्ताह में किसी भी विषय के पीरियड 6 से कम नहीं होने चाहिए और प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थियों को अध्यापक उपलब्ध करवाया जाए।  जिला उप प्रधान वीरेंद्र जाखड़ ने कहा कि सेवा सुरक्षा का ढिंढोरा पीटने के बावजूद कौशल के अध्यापकों के रोजगार से बार बार खिलवाड़ किया जा रहा है।उन्होंने आगे बताया कि चिराग योजना के माध्यम से सरकारी स्कूलों के बच्चों का एक सोची समझी चाल के तहत पलायन करवाया जा रहा है।

शिक्षकों को विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन ट्रेनिंग और गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को विद्यार्थियों से दूर रखना चाहते है। उन्होंने कहा कि बी एल ओ की नियुक्ति में भी अधिकतर शिक्षकों को लगाया गया है। जिन अध्यापकों को बी एल ओ नियुक्त किया है, उनमें से अधिकतर की नियुक्ति चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार नहीं की गई है। इसी प्रकार परिवार पहचान पत्र में भी आय सत्यापन में अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार और अधिकारी शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है।

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