मेडिकल के फर्जी कागजात तैयार कर दिलवाते थे जमानत, डॉक्टर समेत सात पर मुकदमा दर्ज
फरीदाबाद। मेडिकल के फर्जी कागजात तैयार करके जमानत दिलवाने के मामले को लेकर एसजीएम नगर थाने ने डॉक्टर समेत सात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। डॉक्टर जेल में बंद विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदियों के स्वजन को पहले अस्पताल में भर्ती करते। फिर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाते थे, जिनके आधार पर संबंधित कैदियों को जमानत मिल जाया करती थी। सेक्टर-दो में रहने वाले जितेंद्र ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में नवंबर 2024 में शिकायत देते हुए बताया था कि शहर के कुछ डॉक्टर अस्पताल के कर्मचारी नीमका जेल में बंद विचाराधीन और सजा काट रहे कैदियों के स्वजन से संपर्क करते हैं।
उनको अस्पताल में भर्ती करके फर्जी मेडिकल पेपर तैयार करते हैं। ताकि जेल में बंद उनके जानकारों के लिए जमानत का आधार तैयार किया जा सके। इनके आधार पर जमानत के लिए अर्जी लगाई जाती थी। जितेंद्र को इस बात की जानकारी नीमका जेल में बंद उसके ही परिचित ने दी।
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आयुक्त कार्यालय की ओर से मामले की जांच सेक्टर-65 क्राइम ब्रांच को दी गई। क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच शुरू कर दी। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर प्राची और दूून अस्पताल के डॉक्टरों को पूरे फर्जीवाड़े में शामिल पाया। जिसके बाद फर्जी तरीके से जमानत दिलाने के मामले में क्राइम ब्रांच ने एसजीएम नगर थाने में प्राची अस्पताल और दून अस्पताल के दो डॉक्टरों समेत सात पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने डॉ. भगवान दास, डॉ. योगेश, अनिल, अजय, पूनम, सीमा व एक अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
मामले में शामिल डबुआ कॉलोनी में रहने वाली पूनम और सीमा को फर्जी मरीज बनाकर अस्पताल में भर्ती किया गया था। बताया जा रहा है कि पूनम का बेटा डबुआ थाना में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में जेल में बंद है। जबकि सीमा का बेटा हत्या मामले में जेल में सजा काट रहा है। ऐसे में जमानत दिलाने के लिए दोनों को पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाकर बेटों की जमानत की अर्जी लगवाई गई। जांच में सामने आया कि आरोपित पूनम जेल में बंद अपने बेटे से मिलने जाती थी। वहां उसकी मुलाकात एक महिला से हुई।
उसी महिला ने बताया कि वह उसके बेटे को जमानत दिलाने में मदद करेगी। क्योंकि उसने भी अपने आपको बीमार बताकर और फर्जी तरीके से अस्पताल में भर्ती होकर अपने पति को जमानत दिलवाई है। इस बाबत पूनम महिला की बात में आ गई। इसके बाद उसने आरोपित डॉक्टर से संपर्क किया। क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि फर्जी तरीके से जमानत दिलाने के मामले में बादशाह खान अस्पताल और नीमका जेल के अधिकारियों-कर्मचारियों की भी मिली भगत की आशंका है। इस बाबत पुलिस मामले की जांच में जुटी है। एसजीएम नगर थाना प्रभारी रणबीर सिंह ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया है। अब आगे की कार्रवाई होगी।