लोक अदालत में ट्रैफिक चालान में राहत न मिलने पर वकीलों का बहिष्कार, जजों से वार्ता के बाद माने

फरीदाबाद। शनिवार सुबह जैसे ही जिला न्यायालय परिसर में लोक अदालत की कार्यवाही शुरू हुई, वकीलों ने अचानक इसका बहिष्कार कर दिया। उनका आरोप था कि लोक अदालत के माध्यम से आम जनता को जो राहत मिलनी चाहिए, विशेषकर ट्रैफिक चालानों में जुर्माना कम होने की उम्मीद, वह पूरी नहीं हो रही है। वकीलों ने नाराजगी जताते हुए लोक अदालत की कार्यवाही में शामिल होने से इनकार कर दिया।
जैसे ही बहिष्कार की सूचना फैली, सत्र न्यायाधीश (सेशन जज) और अन्य वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने वकीलों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं और समाधान का आश्वासन दिया। जजों के आश्वासन के बाद वकीलों ने लोक अदालत की कार्यवाही में भाग लेना स्वीकार किया।

जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश बैसला ने कहा कि लोक अदालत का मूल उद्देश्य यह है कि आम जनता को सरल, त्वरित और सस्ती न्याय व्यवस्था के तहत राहत मिले। लेकिन ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटे गए चालानों में कोई राहत न मिलने के कारण जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार ट्रैफिक पुलिस द्वारा अवैध या अनुचित तरीके से चालान काटे जाते हैं और लोक अदालत में इन चालानों पर भी पूरा जुर्माना वसूला जाता है।

इससे लोक अदालत में आने वाले लोगों का भरोसा टूट रहा है। वकीलों का कहना था कि लोक अदालत अगर नाम मात्र की कार्यवाही करें और वास्तविक राहत न दें, तो उनका कोई औचित्य नहीं रह जाता। न्यायपालिका को चाहिए कि लोक अदालत के माध्यम से जनता को वास्तविक राहत पहुंचाने का रास्ता साफ करे, तभी इसका उद्देश्य सार्थक होगा।

You might also like