‘थामा’ फिल्म का ‘एल्डर बेताल’ में फरीदाबाद का कृष्ण कांत राय बटोर रहा सुर्खियां
फरीदाबाद। ‘थामा’ फिल्म का ‘एल्डर बेताल’ में फरीदाबाद का कृष्ण कांत राय बटौर रहा सुर्खियां है। ‘धैर्य की परीक्षा’ से तपकर कुंदन बने ‘कृष्णा कांत’ राय को ‘थामा’ की सफलता से पहचान मिली है। कलपुर्जों की नगरी फरीदाबाद से निकलकर 20 साल थिएटर और अभिनय करते हुए मुंबई तक का सफर तय करने वाले अभिनेता कृष्ण कांत के लंबे संघर्ष की कहानी है। यह कहानी बयाँ करती है जिद और जूनून की जो कभी व्यर्थ नहीं जाता, भले ही आप 15 साल तक कॉर्पोरेट की दुनिया के कड़े नियमों में बंधे हों। जी हां हम बात कर रहे हैं कृष्णा कांत राय से, जिन्होंने फरीदाबाद की तंग गलियों से निकलकर, 11 साल तक रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड के दफ्तरों में अपनी पहचान बनाई, लेकिन दिल हमेशा थिएटर की रोशनी में चमकने के लिए ही धडक़ता रहा। बिहार के बक्सर के अर्जुनपुर गांव से फरीदाबाद आए कृष्णा कांत ने 2003 से ही अभिनय की दीक्षा लेनी शुरू कर दी थी। शांति निकेतन स्कूल से 12 वीं और डीएवी शताब्दी कॉलेज से पढ़ाई के दौरान महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी की ओर से राज्य एवं राष्ट्रीय मंचों तक नाटकों का मंचन किया।
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फिर बैरी जॉन एक्टिंग स्टूडियो, मुंबई से फि़ल्म एक्टिंग में डिप्लोमा कर अपने अभिनय की प्रतिभा को धार दी। एक तरफ जेनपेक्ट एमएनसी में चार साल, फिर आरबीएस में लंबी पारी, और दूसरी तरफ- नाटकों का मंचन जारी रहा। यह उस कलाकार के जज्बे जिद और जूनून की ही निशानी है जो पारिवारिक जि़म्मेदारियां निभाने के साथ-साथ अपने सपने को जिंदा रखता है। इसी वर्ष रिलीज़ हुई हिंदी फिल्म ‘थामा’ में ‘एल्डर बेताल’ बनकर उतरे कृष्णा कान्त राय के दमदार अभिनय ने खूब सुर्खियां बटौरी। उनकी इस धमाकेदार किरदार ने दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए। उनके गहन और सधे हुए अभिनय कौशल ने साबित कर दिया कि 20 साल का थिएटर अनुभव सिर्फ़ तैयारी नहीं, बल्कि परिपक्वता है। कृष्ण कांत कहते हैं कि बड़े कलाकारों (आयुष्मान खुराना, रश्मिका मांधाना और नवाज भाई के साथ काम करने का अनुभव बहुत ही अद्भुत रहा है। वे सभी बहुत डाउन टू अर्थ और सपॉर्टिव हैं। उनकी विनम्रता और काम के प्रति ईमानदारी उन्हें नई ऊँचाइयों पर ले जा रही है।
निर्देशक आदित्य सरपोतदार को उन्होंने कमाल के निर्देशक और इंसान बताया, जो दर्शाता है कि वह सेट पर एक सकारात्मक और सीखने वाले माहौल को महत्व देते हैं। अभिनेता के मित्र धीरेन सिंह बताते हैं कि कृष्णा कांत राय अब जब कॉर्पोरेट की दुनिया को पीछे छोड़ पूरी तरह से अपने अभिनय के प्रति समर्पित होने को तैयार हैं। वह हर तरह के रोल करना चाहते हैं, खासकर इंटेंस और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं, ताकि अपने आप को एक अभिनेता के तौर पर और जान सकें, सीख सकें। कृष्णा कान्त राय का यह सफऱ उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि सपने देखने की कोई ‘रिटायरमेंट एज’ नहीं होती, सिर्फ़ उन्हें जीने का ‘सही वक्त’ होता है, और उस वक्त को खुद की मेहनत से हासिल किया जाता है। अभिनेता कृष्णा कांत राय ने फोन पर बातचीत में बताया कि वह अपनी जन्मभूमि फरीदाबाद में मुंबई से जल्द ही वापिस आकर अपने मित्रों संग अपने अभिनय की सफर संबंधित चर्चा करेंगे। उनका कहना है कि धैर्य की यहाँ परीक्षा ज़रूर होती है। आप को मेंटली स्ट्रांग रहना बहुत ज़रूरी हो जाता है। एक्टर्स के लिए बहुत टफ प्रोसेस है पर असंभव नहीं। तैयारी पूरी हो तो चीजें होने में वक्त तो लगता है पर होती ज़रूर हैं।
