भारतीय बॉक्सिंग महासंघ अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से मची खलबली
महासंघ के लगभग 30 राज्य सदस्य लाये अविश्वास प्रस्ताव
फरीदाबाद। भारतीय बॉक्सिंग बॉक्सिंग महासंघ (BFI) के लगभग तीस राज्य सदस्य अध्यक्ष अजय सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। दरअसल, संघ के अंदर लंबे समय से उठ रहे शासन, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी जैसे मुददे को लेकर लगातार अविश्वास बढ़ रहा था।
समस्या तब शुरू हुई जब कार्यकारी समिति का कार्यकाल 2 फ़रवरी 2025 को समाप्त हो गया। भारतीय बॉक्सिंग महासंघ संविधान और राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार तुरंत चुनाव कराए जाने चाहिए थे, लेकिन बिना किसी स्पष्ट कारण के चुनावों में देरी की गई। माना गया कि देरी का कारण यह था कि अध्यक्ष चुनाव हार सकते थे।
स्थिति तब और बिगड़ी जब 7 मार्च 2025 को अध्यक्ष अजय सिंह ने आदेश जारी कर कई व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया। इनमें दिल्ली एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रोहित जैनेंद्र जैन भी शामिल थे, जिन्हें अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था। श्री जैन ने इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसने उनके चुनाव लड़ने के अधिकार की पुष्टि की। इसके बावजूद चुनाव रोक दिए गए, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया कि नेतृत्व करने वाली नई टीम को रोकने की कोशिश हो रही है।
इसके बाद बिना किसी सूचना, परामर्श या बैठक के भारतीय बॉक्सिंग महासंघ संविधान में एकतरफा संशोधन कर दिए गए, जो 24 जून 2022 तक संशोधित संविधान और राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 का स्पष्ट उल्लंघन था। ये बदलाव आगामी 21 अगस्त 2025 के चुनाव में उम्मीदवारों की पात्रता सीमित करने के उद्देश्य से किए गए प्रतीत हुए।
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18 अगस्त 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा उठाई गई गंभीर चिंताओं पर ध्यान दिया। दोनों संस्थाओं ने भारतीय बॉक्सिंग महासंघ की कार्यप्रणाली में लगातार बनी अनियमितताओं की ओर इशारा किया। इसके बावजूद चुनाव तय समय पर हुए, लेकिन इनमें किसी भी संगठन का पर्यवेक्षक मौजूद नहीं था। इससे चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर और सवाल उठे। चुनाव परिणाम में श्री अजय सिंह दोबारा अध्यक्ष बने, जिससे पहले से असंतुष्ट सदस्यों की नाराज़गी और बढ़ गई।
वित्तीय अनियमितताओं को लेकर भी लंबे समय से चिंता थी, क्योंकि कोषाध्यक्ष को महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल ही नहीं किया जा रहा था। 22 अक्टूबर 2025 को कोषाध्यक्ष ने अध्यक्ष और सभी सदस्यों को पत्र लिखकर खातों में गड़बड़ियों पर गंभीर सवाल उठाए। लेकिन इन मुद्दों का समाधान करने के बजाय प्रशासन ने विशेष आम सभा (SGM) बुला ली, जिसमें दो साल के खातों को मंजूरी देने, पिछली ए जी एम (AGM) को मान्य करने और बिना अनुमति किए गए संवैधानिक संशोधनों को पारित करने जैसे प्रस्ताव रखे गए।
20 नवंबर 2025 की विशेष आम सभा में विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप का बजट कार्यक्रम समाप्त होने के बाद पेश किया गया, वह भी बिना किसी चर्चा या पारदर्शिता के। इसी बैठक में संशोधित संविधान को पर्याप्त समर्थन के बिना ही पारित घोषित कर दिया गया, जिससे एकतरफा निर्णय लेने की आशंका और मजबूत हो गई।
इसी दिन तीस सदस्यों ने रोहित जैनेंद्र जैन के नेतृत्व में, अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। उनका आरोप था कि अध्यक्ष द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग, राष्ट्रीय कैंपों में अनावश्यक हस्तक्षेप, मनमानी कार्यप्रणाली और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव को अवैध बताने की कोशिश की, लेकिन यह दावा गलत था, क्योंकि 30 सदस्यों ने औपचारिक रूप से अपना अविश्वास व्यक्त किया था।
भारतीय बॉक्सिंग अब एक बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। जवाबदेही और सुधार की माँग अब सामूहिक आवाज़ बन चुकी है।
26 नवंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस विवाद पर संज्ञान लिया और 5 फ़रवरी 2026 को दोनों पक्षों को लंबित हलफनामे पूरा करने के निर्देश दिए। यही इस मामले में अंतिम आधिकारिक कार्यवाही है, और संघ अब अगली कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहा है — जो उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
