बच्चों को कुएं में पैर से दबाकर मारने वाले हत्यारे पिता और सौतेली मां को मिली उम्रकैद
फरीदाबाद। जिला सेशन कोर्ट ने अपने ही दो मासूम बच्चों की हत्या करने वाले पिता भगत सिंह और उसकी दूसरी पत्नी आशा को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों पर धारा 103 BNS के तहत 20 हजार रुपये और धारा 120 बी के तहत 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला एडिशनल सेशन जज सुरेंद्र कुमार की अदालत ने दो साल तक चले मुकदमे के बाद सुनाया। इस संवेदनशील मामले में कुल 19 गवाह पेश किए गए। किसी प्रत्यक्षदर्शी के न होने के बावजूद अदालत ने उपलब्ध साक्ष्यों, वीडियो क्लिप, प्रत्यक्ष बचाव के बाद की स्थिति और अन्य प्रमाणों के आधार पर दोनों को दोषी माना। कोर्ट ने इस अपराध को हीनियस क्राइम की श्रेणी में रखा।
कैसे हुई थी वारदात?
यह दर्दनाक घटना 18 मई 2023 की है। दांव सीकरी निवासी धीरेंद्र शगुन गार्डन के पीछे से गुजर रहे थे, जब उन्होंने कुएं के पास भीड़ देखी। पास जाकर देखा तो कुएं में एक व्यक्ति अपने दोनों बच्चों का गला पैरों से दबा रहा था। धीरेंद्र तुरंत रस्सी की मदद से कुएं में उतरे, बच्चों और आरोपी को बाहर निकाला, लेकिन तब तक 7 साल की निक्की और 5 साल की बिंदू की मौत हो चुकी थी। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि पहली पत्नी कौशल की 2021 में मौत के बाद उसने आशा से दूसरी शादी की थी। आशा को पहली पत्नी के बच्चे पसंद नहीं थे और इसी को लेकर अक्सर झगड़ा होता था। इसी वजह से दंपति ने मिलकर बच्चों को मारने की साजिश रची।
भगत सिंह दोनों बच्चों को बहाने से कुएं में ले गया। उसे भरोसा था कि पानी कम है, वह बच जाएगा और बच्चे डूब जाएंगे। लेकिन जब बच्चे नहीं डूबे तो उसने पैरों से उनका गला दबाकर हत्या कर दी। यह पूरी घटना बाहर निकाले जाने के बाद लोगों द्वारा बनाए गए वीडियो में दर्ज हो गई, जिसने कोर्ट में अहम सबूत का काम किया।
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परिवार ने उठाई थी परतें
बच्चों के मामा लाखन सिंह ने अदालत में बताया कि बहन कौशल की मौत भी संदिग्ध परिस्थिति जलने से हुई थी। उनकी मौत के बाद बच्चे उनके घर रहते थे, लेकिन भगत ने पुनः शादी के बाद उन्हें वापस ले लिया था, जहां से विवाद शुरू हुआ।
अभियोजन का पक्ष
असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी महेश छाबड़ी ने बताया कि प्रत्यक्षदर्शी न होने के बावजूद पुख़्ता साक्ष्यों वीडियो, घटनास्थल के हालात, मेडिकल रिपोर्ट और गवाहों के बयानों के आधार पर दोनों को दोषी सिद्ध किया गया। दो मासूमों की निर्मम हत्या के इस मामले में अदालत का फैसला पीड़ित परिवार और समाज दोनों के लिए न्याय का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
