बीके अस्पताल में डॉक्टरों की चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच बड़खल एसडीएम त्रिलोकचंद ने दौरा किया। उन्होंने अस्पताल में काम कर रहे स्टाफ से कामकाज को लेकर जानकारी ली। एसडीएम ने कहा कि यहां पर दूसरे अस्पतालों से डॉक्टरों की व्यवस्था की गई है, ताकि लोगों को परेशानी न हो।
एसडीएम त्रिलोकचंद ने कहा कि उनकी कोशिश है कि अस्पताल में आने वाले किसी भी मरीज को इलाज के लिए कोई परेशानी न उठानी पड़े। यदि अस्पताल में डॉक्टर कम पड़ रहे हैं तो बाहर से डॉक्टर बुलाए जा रहे हैं। हमारे जिले में कुल 141 डॉक्टर हैं, जिनमें से 36 डॉक्टर इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। बीके अस्पताल में कुल 54 डॉक्टर सेवाएं देते हैं, जिनमें से 8 डॉक्टर हड़ताल पर हैं। हड़ताल के दौरान निजी अस्पतालों से 16 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है, जिन्हें जरूरत के अनुसार बुलाया जा रहा है।
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सरकार का हड़तालियों पर सख्त रुख, लगाया ‘एस्मा’
डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखते हुए हरियाणा सरकार ने तत्काल प्रभाव से सख्त रुख अपना लिया है। प्रदेश में एस्मा (आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू कर दिया गया है। इस कानून के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि अगले 6 महीने तक स्वास्थ्य विभाग के सभी डॉक्टर और कर्मचारी किसी भी प्रकार की हड़ताल नहीं कर सकते। एस्मा लागू होने के बाद, हड़ताल पर गए डॉक्टरों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि यह कानून सरकार को आवश्यक सेवाओं से जुड़ी हड़तालों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
वेतन रोकने के आदेश जारी: ‘नो वर्क, नो पे’ लागू
सरकार की सख्ती यहीं नहीं रुकी है। स्वास्थ्य निदेशालय भी हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त हो गया है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने तत्काल प्रभाव से एक पत्र जारी कर दिया है, जिसमें हड़ताल में शामिल होने वाले डॉक्टरों का वेतन (सैलरी) जारी नहीं करने के आदेश दिए गए हैं। यह कार्रवाई “नो वर्क, नो पे” (काम नहीं तो वेतन नहीं) के नियम के तहत होगी। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि हड़ताल की अवधि के दौरान किसी भी कर्मचारी को वेतन या मानदेय नहीं दिया जाएगा।
