सतयुग दर्शन वसुंधरा परिसर में त्रिदिवसीय आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
फरीदाबाद। भूपानी स्थित सतयुग दर्शन वसुंधरा परिसर में विश्व का प्रथम समभाव समदृष्टि के स्कूल द्वारा तीन दिवसीय आध्यात्मिक प्रशिक्षण शिविर का सफल आयोजन किया गया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य आगामी दिनों में जालंधर, पंचकुला, अंबाला और मुरादाबाद में खुलने वाले समभाव – समदृष्टि के स्कूलों की रूपरेखा एवं उनके महत्व को साझा करना था। शिविर के प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे: समभाव समदृष्टि के स्कूल का अर्थ और महत्व, मन की परिभाषा एवं मन को उपशम रखने की विधि;, संस्थान प्रमुख की भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ, एक इंटरैक्टिव क्विज़/प्रश्नोत्तरी के माध्यम से सतवस्तु; विषय पर गहन जानकारी दी गई। परफेक्ट टीचर कैसे बनें और समभाव समदृष्टि की कक्षाओं में सही अनुशासन व सच्चे विद्यार्थी के गुण पर चर्चा की गई।
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इसके अतिरिक्त शिविर के माध्यम से यह संदेश भी दिया गया कि शिक्षा केवल ज्ञानार्जन तक सीमित न होकर मानवता, अनुशासन और आत्मचिंतन के मूल्यों को भी समाज में स्थापित करने का माध्यम बने। सबकी जानकारी हेतु बता दें कि फरीदाबाद, भूपानि ग्राम स्थित, सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि0) महाबीर सत्संग सभा का विस्तारित रूपांतरण है और इसका परिसर सतयुग दर्शन वसुन्धरा के नाम से प्रसिद्ध है। सतयुग दर्शन वसुन्धरा पर स्थापित ध्यान-कक्ष यानि विश्व का प्रथम समभाव-समदृष्टि का स्कूल जिसका निर्माण सतवस्तु के कुदरती ग्रन्थ में विदित कुदरती कला के अनुसार हुआ है, उसकी दिव्यता को दृष्टिगत रखते हुए हरियाणा सरकार ने इसे पावन दर्शनीय स्थल घोषित कर दिया है। इसी तरह भारत सरकार ने भी इसे अतुल्य भारत यानि इनक्रेडिबल इंडिया के तहत् शामिल कर, इसको वास्तुकला की सुंदरता की अद्वितीय मिसाल माना है। इतना ही नहीं, सबको बता दें कि यहाँ की प्रत्येक गतिविधि वैश्विक स्तर पर हर मानव को सतयुग की आद् संस्कृति से परिचित करा उसे पुन: मानवता का प्रतीक बनाने के निमित्त ही संचालित होती है ताकि आज का विषयग्रस्त मानव समय रहते ही मानवता का स्वाभिमान और सतयुग की पहचान बन अपनी आद् इलाही शान को प्राप्त हो, सजनता का प्रतीक बन सके।