दीपों की रोशनी बेसहारा बच्चों के चेहरों पर लाई मुस्कान, डीसी विक्रम सिंह के परिजनों ने बांटी मिठाई और उपहार
फरीदाबाद। दीपावली के पावन अवसर पर फरीदाबाद जिला प्रशासन की ओर से करुणा और संवेदनशीलता का एक अद्भुत उदाहरण पेश किया गया। उपायुक्त विक्रम सिंह के परिवारजनों ने हर वर्ष की भांति इस दिवाली भी महिला एवं बाल विकास विभाग, फरीदाबाद के तहत संचालित बाल देखभाल संस्थानों का दौरा कर वहां रह रहे बच्चों के साथ दीपावली का पर्व मनाया।
इस अवसर पर उपायुक्त विक्रम सिंह की माता श्रीमती सुनीता यादव एवं धर्मपत्नी श्रीमती कनिका यादव ने खेड़ी कलां स्थित कर्म मार्ग चैरिटेबल सोसाइटी में पहुंचकर बच्चों को मिठाई, उपहार एवं दीपावली की सजावट सामग्री वितरित की। उन्होंने बच्चों के साथ समय बिताया, उनकी भावनाओं को समझा और उन्हें स्नेह एवं आत्मीयता का एहसास कराया।
कनिका यादव ने कहा कि दीपावली का वास्तविक अर्थ केवल अपने घरों को रोशनी से सजाना नहीं है, बल्कि किसी जरूरतमंद के जीवन में भी खुशी की एक किरण जलाना है। यह पर्व हमें प्रेम, करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना सिखाता है। जब हम किसी बेसहारा बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने में सफल होते हैं, तभी दीपावली का असली प्रकाश हमारे जीवन में उतरता है।
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उन्होंने कहा कि आज समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि खुशियाँ बाँटने से ही बढ़ती हैं। यदि हर व्यक्ति अपने आस-पास के किसी जरूरतमंद की मदद का संकल्प ले, तो समाज में अंधकार की जगह आशा और आनंद का उजाला फैल सकता है। दीपावली का यह पर्व हमें केवल दीप जलाने का नहीं, बल्कि मानवता, समानता और सहृदयता का दीप जलाने का अवसर देता है।
सुनीता यादव ने इस अवसर पर कहा कि बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देखकर जो संतोष और आनंद मिलता है, वही सच्ची दिव्य अनुभूति है। उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग को अपने स्तर पर ऐसे प्रयास करने चाहिए ताकि कोई भी बच्चा अकेलापन या अभाव महसूस न करे।
इस अवसर पर कर्म मार्ग चैरिटेबल सोसाइटी की संचालिका, प्रबंधक मंडल के सदस्य एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
संस्थान की संचालिका ने उपायुक्त परिवार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की इस तरह की सहभागिता समाज में सकारात्मक संदेश देती है और दूसरों को भी प्रेरित करती है कि वे अपने त्योहारों की खुशियाँ जरूरतमंदों के साथ साझा करें।
यह कार्यक्रम न केवल दीपावली के उत्सव की भावना को जीवंत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब प्रशासन और समाज मिलकर कार्य करते हैं, तो सच्चे अर्थों में “अंधकार से प्रकाश” की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।