बाबा पीर रतन नाथ मंदिर में तोड़-फोड़ मुगल शासन जैसा कदम: हरीश आजाद

फरीदाबाद। समाजसेवी हरीश चन्द्र आजाद ने दिल्ली सरकार द्वारा झंडेवाला मंदिर के पास स्थित 81 वर्ष पुराने बाबा पीर रतन नाथ जी के मंदिर में की गई तोड़फोड़ को मुगल शासन काल जैसा कार्य बताया है। उन्होंने कहा कि बाबा पीर रतन नाथ जी, गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे और यह गद्दी करीब 1500 वर्ष पुरानी है, जो सनातन धर्म में सबसे पुरानी गद्दियों में से एक है।

मर्यादा का उल्लंघन
आजाद ने आरोप लगाया कि तोड़फोड़ दस्ते के कर्मचारी जूते पहनकर मंदिर परिसर में गए और लंगर घर को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि जिस भाजपा सरकार ने राम मंदिर के नाम पर केंद्र और राज्य में सरकार बनाई, उसी ने इस मंदिर की मर्यादा भंग की, जहाँ पिछले 16 वर्षों से लगातार राम नाम का जाप चल रहा है और शिवरात्रि का सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाता है। उन्होंने इस कृत्य को हिन्दू राष्ट्र में हिन्दुओं की आस्था पर क्रूर अत्याचार बताया।

आरएसएस पार्किंग के लिए मंदिर तोड़ना?
हरीश आजाद ने सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों के हवाले से बताया कि मंदिर पर यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि वहाँ आरएसएस का एक बड़ा कार्यालय बना है और उसके लिए पार्किंग बनानी है। उन्होंने आरएसएस की पार्किंग के लिए 81 वर्ष पुराने मंदिर को तोड़ना हिन्दू विरोधी कार्यवाही बताते हुए, इसका खुलकर विरोध करने की बात कही।

माफी की मांग और चेतावनी
आजाद ने बताया कि उनके और उनके पूर्वज इस मंदिर के अनुयायी रहे हैं। बंटवारे के बाद बाबा मनमोहन दास ने 81 वर्ष पूर्व लाखों अनुयायियों के लिए इसकी स्थापना की थी। वर्तमान में यहाँ 31वीं पादशाही चिरंजीव बाबा लक्ष्मण दास विराजमान हैं और यह ब्राह्मणों की गद्दी है। उन्होंने दिल्ली सरकार से मंदिर में जाकर महाराज जी से माफी मांगने और तोड़फोड़ का हर्जाना भुगतने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो भगवान स्वरूप बाबा श्री पीर रतन नाथ जी के मंदिर परिसर में तोड़-फोड़ करने की सजा उनकी सरकार को तख्ता पलटकर और 31 पादशाहियों के श्राप से मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस गद्दी के करीब 2 करोड़ अनुयायी हैं। आजाद ने बताया कि इस कार्रवाई का विरोध न सिर्फ भारत में राज्यसभा में अजय माकन ने किया है, बल्कि विदेशों में भी महाराज जी के अनुयायी कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से अपील की है कि वे अपने फैसले को वापस लें और छीनी गई मंदिर की जगह को जल्द से जल्द माफी मांग कर वापिस करें।

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