हरियाणा में 1500 करोड़ का ‘वर्क स्लिप’ घोटाला: 91 फीसदी श्रमिक निकले फर्जी, अनिल विज ने की उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश

अंबाला। श्रम विभाग में एक ऐसे महाघोटाले का खुलासा हुआ है जिसने पूरे प्रशासनिक अमले को हिलाकर रख दिया है। प्रदेश के श्रम मंत्री अनिल विज की पैनी नजर और सख्त आदेशों के बाद करीब 1500 करोड़ रुपये के ‘वर्क स्लिप स्कैम’ (कार्य रसीद घोटाला) का पर्दाफाश हुआ है। जांच में सामने आया है कि बड़ी संख्या में अपात्र लोगों ने बिचौलियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर श्रमिक पंजीकरण कराया और करोड़ों रुपए की सरकारी सहायता हड़प ली।13 जिलों की जांच में 91 प्रतिशत फर्जीवाड़ायह घोटाला ‘हरियाणा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड’ से जुड़ा है। मंत्री अनिल विज के निर्देश पर अगस्त 2023 से मार्च 2025 के बीच जारी ऑनलाइन वर्क स्लिप का भौतिक सत्यापन कराया गया। प्रदेश के 13 प्रमुख जिलों में गुरुग्राम, सोनीपत, करनाल, रोहतक और सिरसा शामिल हैं। जिसकी रिपोर्ट ने चौंका दिया है। यहाँ कुल 5,99,758 वर्क स्लिप की जांच की गई, जिनमें से केवल 53,249 ही वैध पाई गईं, जबकि 5,46,509 (करीब 91 फीसदी ) पूरी तरह फर्जी निकलीं।गांव के गांव बने ‘फर्जी श्रमिक’जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2.21 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 14,240 ही वास्तविक पात्र पाए गए। कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो पूरे के पूरे गांवों ने फर्जी तरीके से श्रमिक कार्ड बनवा रखे थे। एक श्रमिक को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत औसतन ढाई लाख रुपये तक का लाभ दिया जाता है। भ्रष्ट तंत्र ने कन्यादान, बच्चों की शिक्षा, मकान निर्माण और पेंशन जैसी योजनाओं में जमकर बंदरबांट की।केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांगमामले की गंभीरता और भारी वित्तीय क्षति को देखते हुए अनिल विज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किसी प्रतिष्ठित केंद्रीय जांच एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश की है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं होगा। फिलहाल सरल केंद्रों पर नए आवेदन और वर्क स्लिप जारी करने पर रोक लगा दी गई है। विज ने चेतावनी दी है कि इस खेल में शामिल किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
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