तीन बार के हार्ट पेशेंट का टीएवीआर तकनीक से बिना चीडफाड बदला वाल्व

20 पर्शेट हार्ट की गति को फिर किया सामान्य फरीदाबाद। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में पहली बार ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) प्रक्रिया के माध्यम से बिहार के बुजुर्ग को नया जीवनदान दिया गया है। इलाज के बाद पेशेंट की 20 प्रतिशत की गति एक बार फिर सामान्य हो गई है। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। इस सफल ऑपरेशन में कार्डियोलोजी डिपार्टमेंट चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता, डॉ. सिम्मी मनोचा और डॉ. उमेश कोहली ने अंजाम दिया। खास बात यह की इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को बेहोश करने की जरूरत भी नहीं पड़ी। अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डॉ. ऋषि गुप्ता ने बताया कि उनके पास बिहार निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग इलाज के लिए आए थे। ये बहुत जटिल केस था, क्योंकि हार्ट अटैक के केसों में वाल्व रिप्लेसमेंट किया जाता है, लेकिन इस मामले में चीजे अलग थी। उन्हें चलने पर सांस चढने की समस्या व पैरों पर सूजन की समस्या थी। पहले 3 बार हार्ट अटैक आ चुका था, वाल्व बदला जा चुका था। उन्होंने बताया कि जांच में पाया गया कि मरीज का हार्ट वाल्व डैमेज हो चुकी है और हृदय रक्त का सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत ही धडक़ रहा था। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम बनाई गई। जिसमें कार्डियोलोजी विभाग के डॉ. सिम्मी मनोचा, डॉ. उमेश कोहली को शामिल किया गया। टीएवीआर तकनीक से किया सफल इलाज: मरीज की उम्र को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी संभव नहीं थी, क्योंकि उसमें हार्ट को बीच के खोला जाता है। जिससे बुर्जुग की जान जाने का खतरा था। ऐसे में पहली बार अस्पताल में टीएवीआर तकनीक का सहारा लिया गया। उन्होंने बताया कि आर्टरी में कोलेटरल द्वारा कृत्रिम हृदय वाल्व का प्रत्यारोपण किया गया। इस तकनीक का यह फायदा है कि इसमें बिना चीरफाड़ के ही कृत्रिम हृदय वाल्व प्रत्यारोपित कर दिया जाता है और मरीज बहुत जल्द रिकवरी करके घर जा सकता है। डॉ. ऋषि ने कहा की यूरोप, यूएसए के डॉक्टरों द्वारा इसी तकनीक को काफी बड़े स्तर पर पसंद किया जाता है क्योंकि करीब 50 प्रतिशत मरीजों को उम्र व अन्य मेडिकल कारणों से ओपन हार्ट सर्जरी नहीं कर सकते। सफल कृत्रिम हृदय वाल्व प्रत्यारोपित पर अस्पताल चेयरमैन डॉ. प्रबल रॉय ने टीम को बधाई दी।  

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