कृतज्ञता का भाव ही है सनातन धर्म : आचार्य अभिषेक शुक्ल

श्रीमद्भगवत कथा श्रवण करने से होती है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति : गोपाल शर्मा
फरीदाबाद, 04 अप्रैल (हरपाल सिंह यादव)। भारतीय जनता पार्टी फरीदाबाद के जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा द्वारा सुप्रीम रॉयल विला बैंकेट हॉल सीकरी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथावाचन करते हुए आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने ध्रुव चरित्र का वर्णन किया द्य 2 अप्रैल से शुरू श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में पिछले 2 दिनों में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर भगवान की अनुकम्पा प्राप्त की द्य आज तृतीय दिन भाजपा स्थानीय निकाय प्रदेश सह संयोजक देवेन्द्र चौधरी, जिला महामंत्री मूलचंद मित्तल, वरिष्ठ भाजपा नेता टिपर चंद शर्मा, डॉक्टर दिनकर, जिला उपाध्यक्ष पंकज रामपाल, वजीर सिंह डागर, राजन मुठरेजा और अन्य श्रद्धालु जन उपस्थित रहे और और उन्होंने कथा का श्रवण कर व्यास जी से आशीर्वाद लिया.

आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि किसी भी सफलता की सम्प्राप्ति में जीवन में विनय का विशेष महत्त्व है,विनम्रता,अनुशासन,गुरुजनों,स्वजनों तथा परिजनों के प्रति समीचीन सद्व्यवहार,से जहाँ सफलता सुलभ होती हैं,वहीं अविनय,अनुशासनहीनता,उग्रता आदि से प्राप्त सफलता भी असफलता में परिणत हो जाती है,अत: सभी को विनयी होना चाहिए,जब भगवान् श्री ध्रुव जी के सामने उपस्थित हुए तो श्री ध्रुव जी महाराज ने सर्वप्रथम भगवान् के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है और कृतज्ञता का भाव ही सनातन धर्म है आप जीवन में बहुज्ञ हों,सर्वज्ञ हो,वेदज्ञ हों,शास्त्रज्ञ हो उसका कोई महत्व नहीं है यदि आप जीवन में कृतज्ञ नहीं हैं,हमारे यहां शास्त्रों में विविध पापों का प्रायश्चित है परन्तु कृतघ्नता को कोई प्रायश्चित नहीं है,किसी के द्वारा किए हुए उपकार को न मानना बल्कि उसके विरोधी बन जाना ही कृतघ्नता है.

कपिलोपख्यान में कहा की जिसकी जिह्वा सतत् भगवत्स्मरण करती रहती है उसने सारे तप कर लिए,सम्पूर्ण तीर्थों में स्नान कर लिया,सम्पूर्ण श्रौत स्मार्त यज्ञ कर लिए और सम्पूर्ण वेदों का अनुवचन कर लिया द्य उन्होंने प्रथु चरित्र,प्रियव्रत चरित्र, भरत रहूगण संवाद का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया द्य जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रीहरि का वांग्मय स्वरूप है, जो जीवन जीने की कला सिखाते सिखाता है और श्रीमद्भगवत कथा श्रवण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है द्य उन्होंने कहा कि एक बार भगवान का नाम यदि मनोभाव से लिया जाए तो वह जन्म जन्मांतर तक आपके साथ रहता है।

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