श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में नेतृत्व विकास और व्यवसायिक उत्कृष्टता के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित

बल्लबगढ़, 01 मई। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ज्योति राणा ने कहा कि जीवन में सीखने का सबसे ज्यादा महत्व है। सीखने की प्रक्रिया से ही नेतृत्व का विकास होता है। इसलिए हमें हमेशा अपने व्यक्तित्व में सीखने के जरिए गुणवत्ता का समावेश करना चाहिए। प्रो. राणा विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। इंडस्ट्री और एकेडमिक परिवेश के बीच अंतराल को खत्म करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में कई विशेषज्ञों ने प्रबंधन के विद्यार्थियों को गुर सिखाए।

प्रो. ज्योति राणा ने इस मौके पर कहा कि किसी भी कार्य को उत्साह के साथ करना चाहिए। हमारी सक्रियता परिणामों को बदल सकती है। उन्होंने विद्यार्थियों को हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला में विद्यार्थियों की नेतृत्व क्षमता को विकसित करने के बारे में विस्तार से बताया गया। विश्वविद्यालय के इंडस्ट्री इंटीग्रेशन के उप निदेशक अमित अमैया ने विद्यार्थियों को एमओयू लेखन कला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

कार्यशाला की संयोजक डॉ श्रुति गुप्ता ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों में नेतृत्व विकास से लेकर उनमें व्यवसायिक क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की संयोजक दूसरी डॉ. अंशिका अग्रवाल ने बताया कि इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को नेतृत्व कौशल, वार्ता कौशल, लिखित एवं मौखिक कौशल, प्रस्तुति कौशल, एचआर, टेंडरिंग और खरीद प्रक्रिया से लेकर ई फाइलिंग के बारे में गुर सिखाए गए।

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