अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़ में भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

बल्लभगढ़ : अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़ के सभागार में भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत के दिशा निर्देशन में आयोजित यह राष्ट्रीय सम्मेलन राष्ट्रीय सम्मेलन महानिदेशक उच्च शिक्षा हरियाणा द्वारा अनुमोदित था। उद्घाटन समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती आराधना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सम्मेलन में प्राचार्य द्वारा सभी अतिथियों को पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत गुप्ता जी ने बाहर से आए हुए विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

कार्यक्रम संयोजक श्री रविंद्र जैन ने दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की उपयोगिता के बारे में बताया। इस समारोह के उद्घाटन सत्र में  भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त वक्ता और वैज्ञानिक डॉ. डी. सी. तायल मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र की जानी मानी हस्ती डॉ. एस.के. चक्रवर्ती तथा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन फरीदाबाद के पूर्व कार्यकारी निर्देशक डॉ. जी.एस. कपूर गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर उपस्थित रहे। इस राष्ट्रीय सम्मेलन का मूल विषय समाज और सतत विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रक्षेप में विज्ञान की भूमिका पर चर्चा करना रहा।

डॉ. डी. सी. तायल ने अपने वक्तव्य में भौतिक विज्ञान में प्रैक्टिकल की भूमि भौतिक विज्ञान के प्रयोगों की व्यवहारिकता का का प्रतिपादन किया और सतत विकास के लिए ओपन एंडेड प्रैक्टिकल्स को व्यवहार में लाने पर जोर दिया। अपने वक्तव्य में उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा का सर्वेक्षण उदाहरण स्वरूप रखा तथा इसे आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अहमियत को समझाया। डॉ. तायल ने सभागार में बैठे सभी शिक्षकगण और विद्यार्थियों से अपने कार्य तथा जिम्मेदारियों का इमानदारी पूर्वक वहन करने का आव्हान किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार प्राचीन भारत वर्ष का लोहा सारी दुनिया मानती थी। वर्तमान में हुए शिक्षा के पतन रोकने तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगी।

उद्घाटन समारोह के पश्चात प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. जी. एस. कपूर ने अपने वक्तव्य में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की उपयोगिता के महत्व को समझाया। उन्होंने प्लास्टिक रीसाइकलिंग की नई- नई रसायनिक और यांत्रिक तकनीक के विषय में उच्च स्तर का संबोधन दिया। इसी सत्र में दूसरे वक्ता के रूप में आईओसीएल फरीदाबाद से ही डॉ. एम. सीतानाथन ने अपने वक्तव्य में इंधन के उत्सर्जन तथा उसके इकोनॉमिकल रखरखाव को सतत विकास की विकास धारा में शामिल करने का महत्व बताया। प्रथम दिन उद्घाटन से अलग कुल तीन तकनीकी सत्र रहे। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. जी.एस. कपूर ने की। सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर चक्रवर्ती ने विज्ञान का समाज में योगदान पर अपना वक्तव्य रखा।

किस प्रकार विज्ञान को मानव जाति के सतत विकास के अनुरूप बदलाव की जरूरत पर भी अपने विचार रखे। तीसरे सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत ने की। तकनीकी सत्र तीन के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. ए.एस. सरपाल ने अपने विचार सभागार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों से सांझा किए। उन्होंने बायोमास के क्षेत्र में सतत विकास के लिए चल रहे प्रयोगों तथा तकनीकों से प्रतिभागियों को रूबरू कराया। इस दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 116 पंजीकरण हुए। डॉ. संजीव गुप्ता तथा डॉ. देवेंद्र इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजक सचिव रहे। डॉ. निशा गिल और मानसी त्यागी ने मंच संचालन की जिम्मेदारी का वहन किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button