हस्तशिल्प शब्द को परिभाषित करती हुई हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की स्टॉल

रंजीता मेहता के कुशल नेतृत्व में सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगाकर अपनी भागीदारी निभा रही है

फरीदाबाद : अरावली की पहाड़ियां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्त शिल्प मेले से हर वर्ष गुलजार होती हैं। हर वर्ष की भांति इस साल भी लगातार हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की स्टाल 37 वे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले में अपनी अगुवाई कर रही है। आपको ज्ञात होगा की हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद पूरे प्रदेश में अपनी गतिविधियों कार्यशाला में कोचिंग क्लास चलाकर बच्चों के सर्वांगीण विकास में अपना पूर्ण सहयोग कर रही है।

जानकारी देते हुए बता दे कि परिषद के मुखिया (अध्यक्ष) के रुप में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री बंडारु दत्तात्रेय, उपाध्यक्ष के रूप में प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल व मानद महासचिव रंजीता मेहता के दिशा निर्देशन और कुशल नेतृत्व में ही सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगाकर अपनी भागीदारी निभा रही है। स्टॉल पर जब आप भ्रमण करेंगे तो पाएंगे वास्तविक शब्दों में हस्तशिल्प को परिभाषित करती हुई हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की स्टॉल जो की मेले में गेट नंबर 5 के पास व मीडिया सेंटर के बिल्कुल नीचे स्थित स्टॉल पर आपको हस्त निर्मित वस्तुएं लाई गईं हैं ।

जहां आप हाथ से बने जूट के बैग, कपड़े के थैले, घर के लिए कालीन व चटाई, सोफे व कुर्सी के लिए तकिए, मेज पोस, हस्तनिर्मित दरी, चंगेरी, टोकरी आदि सामान खरीद सकते हैं। यह सभी सामान प्लास्टिक का उपयोग किए बिना हाथ से निर्मित किया गया है जो कि भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विचारों प्लास्टिक मुक्त भारत का जीता जागता उदाहरण है।

मेले में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मण्डल बाल कल्याण अधिकारी कम नोडल अधिकारी कमलेश शास्त्री ने बताया कि सरकार द्वारा “प्लास्टिक मुक्त भारत” का संदेश दिया है, जिसमें प्लास्टिक या प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का कम से कम इस्तेमाल करने पर बल दिया गया है। सरकार के इसी सपने को साकार करने में सहयोग करते हुए हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद चंडीगढ़ (हरि०) द्वारा मेले में लगाए गए इस स्टॉल पर सभी वस्तुओं को कपड़े व जूट से हस्त निर्मित कर लगाया गया है।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना जब तक सरकार नहीं होगा तब तक प्रत्येक व्यक्ति प्लास्टिक का बहिष्कार ना करें। जन सहयोग के बिना इस सपने को साकार करना नामुमकिन है। स्टॉल पर सभी सामान एवं वस्तुएं परिषद में कार्यरत कुशल महिलाओं के द्वारा व बच्चों के द्वारा हाथ से निर्मित की गई हैं। उन्होंने बताया की परिषद द्वारा महिलाओं को सीधा संदेश देना ही पहली प्राथमिकता की वो सभी आत्मनिर्भर बने जिससे सभी का जीवन आरामदाई व सुखमय बीते।

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