हुड्‌डा के समधी की धमकी- राजनीति छोड़ दूंगा

हरियाणा के फरीदाबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप को टिकट दिया है। जिसके बाद टिकट मिलने की उम्मीद लगा लोकसभा क्षेत्र में मेहनत कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के समधी करण सिंह दलाल नाराज हैं। वह उम्मीद जताए हुए थे कि पुराना नेता होने के कारण कांग्रेस उन्हें उम्मीदवार बनाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अब करण सिंह दलाल ने सोमवार को बल्लभगढ़ के झाड़सैंतली गांव में पंचायत बुलाई है। चर्चा है कि यहां वह बड़ा फैसला ले सकते हैं।

उधर, शनिवार को भिवानी में किरण चौधरी ने बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटने पर शक्ति प्रदर्शन किया। किरण ने कहा कि वह पार्टी के सच्चे सिपाही हैं, पार्टी का झंडा बुलंद करेंगे। जिस तरह से रावदान सिंह ने हमारे लिए बढ़िया कार्य किया है, उससे भी बढ़िया कार्य हम करेंगे।

भिवानी जिला बंसीलाल की पहचान है। चाहे दादरी हो या महेंद्रगढ़ या भिवानी, मैंने और श्रुति ने यहां बहुत काम किया है। यह हमारा इलाका है और ये लोग हमारा परिवार हैं। ये सिर्फ चुनाव नहीं इमोशनल इश्यूज भी हैं। ये हलके की लड़ाई का सवाल है। पिता और दादा ने भी ऐसे मोड़ देखे। राजनीतिक रूप से उनको भी रोका गया। ऐसे मोड़ पर संघर्ष करना होता है। कार्यकर्ता निराश न हों।

समर्थकों ने निर्दलीय लड़ने का दबाव बनाया
करण सिंह दलाल शनिवार को रसूलपुर रोड स्थित कांग्रेस पार्टी के दफ्तर पहुंचे थे। जैसे ही उनके समर्थकों को इस बात की सूचना मिली तो वे भी वहां आ धमके। इसके बाद उन्होंने टिकट न मिलने पर नाराजगी जताई। साथ ही दलाल पर निर्दलीय चुनाव में ताल ठोकने का दबाव बनाया। हालांकि, दलाल समर्थकों को समझाते हुए दिखाई दिए।

इसके बाद शाम को दलाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी जायज है। चुनाव के लिए 2 साल से तैयारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप तो पार्टी को यह लिखकर भी दे आए थे कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना है। बावजूद इसके पार्टी द्वारा उन्हें टिकट दिया गया।

यह पार्टी का निर्णय है, उससे उन्हें कोई एतराज नहीं, लेकिन 2 सालों में जनता का उन्हें जो प्यार और सम्मान मिला, वह उसके लिए सदैव ऋणी रहेंगे और जल्द ही इलाके की जनता एक महापंचायत करने जा रही है। जिसमें जो भी फैसला जनता का होगा, वह उनके लिए मान्य होगा, उन्हें अब निर्दलीय चुनाव लड़ना है या नहीं लड़ना, यह उन्होंने जनता के फैसले पर छोड़ दिया है।

दलाल ने यह भी कहा कि वे कांग्रेस में हैं और रहेंगे। यदि टिकट के लिए लोगों का दबाव पड़ा तो वे राजनीति करना छोड़ देंगे। उन्होंने कभी टिकट के लिए किसी राजनैतिक दल पर कोई दबाव नहीं बनाया। केवल उनकी छवि व राजनैतिक कद को देखकर राजनीतिक दलों ने उन्हें टिकट दिया।

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